ऐ-खुदा-मुझको मौत दे-दे
Yeh-khuda-mujhe-utha-le😢 |
कभी-कभी काफी टूट जाते हैं-बाहर से नही- अंदर से। काफी गहरा चोट लगता है।
किसी और से नहीं- खुद से। खुद की उम्मीदों से और खुद की शैतानी दिमाग से ।
फिर लगता है जीना- कौन चाहता है- हम मरने कि उम्मीद करते है- पर सच में
हम मरना नहीं चाहते – हम मरने कि उम्मीद बुरी सोच को अनदेखा करने के लिए कहते है।
ताकि हम उसे बता सके कि-तु कितना बुरा है- पर क्या यह सही तरीका है?
मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हो रहा है – क्यों हो रहा है- मैं जिससे बाहर निकलना चाहता हूं-
उसमें ही क्यों फसता जा रहा हूं? पर फिर भी मैं जीना चाहत हूँ।
चाहता हूं कि लंबा जीयूं – जानते हो क्यों? क्योंकि मरना कोई उपाय नहीं है- जीना है।
मरने पर – कहानी खत्म हो जाती है। जो दिखती है उसका – जो नहीं दिखती उसका कुछ कह नहीं सकते।
यानिकि शरीर तो नश्वर है- आत्मा तो अमर है। और तुम आत्मा हो- मरने के बाद दिखते नहीं- पर होता क्या है-कुछ पता नहीं।
क्योंकि वो दिखता नहीं है।
पर हां।जो दिखता है- यानिकि जीना एक उपाय है-
क्योंकि ये हमें कुछ पल देता है-हमे कल देता है- हमेशा।
इसलिए मैं जीना चाहत हूं। क्योंकि जिंदगी है- ही कितनी – छोटी-सी
और उसमें भी मरने की सोचे क्या बेवकूफी है। मैं-ये नहीं कह रहा कि
मौत को नजरंदाज करो- बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि वो हमेशा – हमें जीने कि प्रेरणा देती हैं।
मरना किसी समस्या का हल नहीं है। गले में रस्सी लगा सांसें रूकती है सिर्फ-
लोगों की जुबान नही। तुम्हारा मर जाना – यह साबित करेगा कि तुम सच में कमजोर थे –
तुम सच में गलत थे। क्योंकि पुलिस को देखकर चोर ही भागते हैं।
गलत सोच कॉमन है-यार। हर किसी-की जिंदगी में आती है- यह सिर्फ तुम्हारी परेशानी नहीं।
सेक्सुअल थॉट्स कोई बीमारी नहीं – पर हां-इनको लिमिट में रखना चाहिए।
क्योंकि” हर चीज की अति – मति भ्रष्ट कर देती है।” आपने तो सुना ही होगा।
सही-गलत, सत्य-असत्य,शाम-दाम-दंड-भेद –
ये सब गलत नहीं- ना-ही सही है।
इनका प्रयोग इनको गलत और सही बनाता है। क्योंकि पार्टी में जोक बहुत अच्छा लगता है-
पर मैयत पर बोलो तो बुरा लगता है। यहां जोक गलत नही है। इसका प्रयोग करने का समय+ स्थान गलत है।
हम इंसान है यार- भगवान नहीं – पर ऐसा कौन-सा- शर्त है जो कहता हो कि भगवान को बुरे सोच नहीं आते होंगो,
वो अलग बात है कि वो इन्द्रविजय है । पर इससे पहले लड़ना तो पड़ा ही होगा – ना –
क्योंकि बैठे-बैठे कोई जंग जीती नहीं जाती- लड़ना बै पड़ता है- खून बहान पड़ता है
– तभी कोई विजय कहलाता है। मर जाने वाले कहां कुछ सिद्ध कर पाते हैं।
चाहे गाँधी बनना हो या बोस- बनने के लिए ना- जीना पड़ता है।क्योंकि जीना ही विकल्प देता है।
बनने के लिखेरा जो भी ना जीरा है । मरना सिर्फ सहानुभूति –
उससे ज्यादा नही-कुछ पल की उदासी और कुछ यादें कुछ और नहीं।
गुरू द्रोणा अपने पुत्र अश्वत्थामा को हर चीज दिया – बह्रास्त्र भी-
सिर्फ इसलिए ताकि उसे ज्यादा कष्ट ना झेलना पड़े- और वो बिना लड़े क्या पा-पाया एक बह्रास्त्र-
जो उसकी शोभा नहीं बन पाई – एक अहंकार जो – उसे श्राप से बचा नहीं पाई।
ये सच है यार
बिना लड़े जो मिल जाए- वो कभी आपको यश नही दे सकती।
क्योंकि हर घोड़ा चेतक नहीं है। चाहे अरबी नस्ल के हो या नही। चेतक वही है –
जो टांगें कटने के बाद भी – अपना कर्तव्य नहीं भूलता-लड़ता है, और बिना लड़े – मरता नही।
अगर वो पहले ही मर जाता ना – तो आज कोई चेतक नहीं होता और ना ही –
महाराणा प्रताप। मरना कोई विकल्प नहीं और ना कभी होगा।
तुम्हारा आत्महत्या कभी किसी के लिए प्रेरणा नहीं बन सकती।
तुम्हे क्या लगता कि सुशांत के मरने से चलो भाई मैंने मान लिया उसकी प्रॉब्लम्स बहुत बड़ी-
इतनी कि वह सह नहीं सका – मरना अच्छा लगा वह बात अलग है।
पर क्या सुशांत को हम हमदर्दी के सिवा इस 133 वें नंबर की मीडिया-यूट्यूब या कहीं से भी उनके काम में बदलाव आया।
जिन्होंने आंसू बहाया उनमें से अधिकांश वो थे जिन्हें- टी.आर.पी. की खोज थी।
पर अभी कश्मीर फाइल्स आई – नेपोटिज्म फिर चढ़ा - बॉलीवुड पूरी कोशिश कर रहा है,
गिराने की। पर ये रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ रहा है। क्या ये मर के हुआ।
मरने पर कंधा और सहानुभूति मिलती है- तुम भगतसिंह थोड़ी हो।
भगत जी थोड़ी । जिनका मरना ज्वाला बनेगी – लोगों को प्रेरणा देगी।
मैं यह बिल्कुल नहीं कह रहा कि उनकी मौत ने कुछ नहीं किया। बिल्कुल भी नहीं।
लेकिन क्या तुम्हारा इसलिए मरने की दुआ मांगना क्योंकि आपका पेट खाली है- आपका पेट भर देगा-
आपके परिवार का पेट भर देगा बल्कि और कई दिन उनको भूखा रखेगा और जिंदगी को बद से बदतर बनाएगा।
मरना कभी-भी विकल्प हुआ ही नहीं।
गंगा की जमीन को ही हल से कुदेड़ा जाता है- रेगिस्तान की जमीन को नहीं
और यू.पी. में ही सबसे ज्यादा जनसंख्या है राजस्थान में नहीं।
याद रहे गलत सोच आते – जाते हैं, जिंदगी आती-जाती नहीं।
आप इनके मालिक हैं-यह आपके नहीं। मालिक बनो और
जो सर पर चढ़ रहे हैं ना उनको पैरों तले मसलों।
क्योंकि दुनिया को मृतकों ने नहीं लड़ने वालों ने बदला है।
मरना कोई उपाय नहीं था-ना है- ना होगा। सिर्फ विशेष-से-विशेष और दीन-से-दीन परिस्थितियों को छोड़कर।
पर डर कर मरना – घबरा कर मरना कोई – औचित्य नहीं है – और ना कभी होगा,
क्योंकि समस्याएं-संकट-समाधान है- जिंदगी का। जिंदगी में जरूरी है-ये,
बिना इसके जिंदगी नहीं कटती। इसे काटने के लिए लड़ना पड़ता है।
यार जो आप जिंदगी जी रहे हो-ना वो समस्याओं कि दुआ है-कि आपको हमेशा- बिजी रखती है।
बिना समस्याओं के क्या जी पाओगे।
और याद रहे👇
आपको हमेशा-हमेशा मौका मिलता है। जिसे कल कहते हैं।
और वह कल सिर्फ जीवित लोगों को ही मिलता है।
और एक उम्मीद है जो आपके गलत को सही कर सकता है।
असत्य को सत्य।निंदा को प्रतिष्ठा। पर ये मौका सिर्फ और सिर्फ जीवितों को ही मिलता है।
मरना कभी-भी यह विकल्प नहीं देता ;
मरना सिर्फ और सिर्फ पछतावा और संकोच के सिवा और कुछ नहीं देता। और ना-कभी दे पायेगी।
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !