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नज़रिया का खेल:- इंसान की किस्मत दे बदल

forhindi 3 दिसम्बर 2021 0 comment
नज़रिया का खेल:- इंसान की किस्मत दे बदल

 👓 नज़रिया का खेल:- 

                                                                       इंसान की किस्मत बदल दे

हल्कू का खेत। नजारा! एकदम दिल को खुश कर देने वाला। क्या फसले लगती थी!

कोई भी ऐसा साल ना था जब उसकी फसलें सोने की तरह ना चमकती थी।👇

नज़रिया का खेल,Farm,#field

ऐसी फसलें होती हष्ट-पुष्ट कि सारा गांव यही मनाता कि हे भगवान! हमारी जमीन को भी ऐसे ही बना दे।

और हल्कू बड़ा खुश रहता। हमेशा मुस्कुराता हुआ। जैसे हिमालय की नदियों में कभी सूखा नहीं पड़ता है

उसके यहां भी नहीं पड़ता था। मगर वही गांव की दूसरी तरफ एक नजारा ऐसा भी था

जो सोना तो छोड़ो हरियाली भी सही से नहीं देख पाता था।👇

नज़रिया का खेल,Dry-field,#black

 

और उसका गुजारा कही इसकी खेत तो कभी उसकी खेत जोत के होता था।

यह जमीन थोड़ी बंजर-सी थी। पथरीली! तो यहां के लोगों ने  दो-तीन साल तप करके देख लिया।

मगर फल तो छोड़ो बीज अंकुरित भी नहीं हुआ। तो उस जमीन को ऋषभ ने ऐसे ही छोड़ दिया

और उसे बेचने का इरादा पक्का कर लिया। ऋषभ ने सोचा क्यों ना यह जमीन हल्कू को बेच दी जाए।

यह पहुंचा अपना प्रस्ताव लेकर उसके पास। हल्कू वैसे तो बड़ा खुश रहता था,

मगर उसका प्रस्ताव सुनकर और तेजी से हंसकर बोला।

तेरी ज़मीन कुकुर भी ना पूछे और मुझे बेचने चला आया। चल भाग यहां से!

वह चुपचाप सुनकर वापस घर पर आ गया और आकर बीवी पर सारा गुस्सा ठंडा कर लिया।

और अब तो उसे और भी ज्यादा विश्वास हो गया था कि उसकी जमीन एकदम रद्दी है।

और उसने जमीन से छुटकारा पाने की सोची और सस्ते उसने जमीन को एक व्यापारी को बेच दिया।

व्यापारी था तो बूढ़ा मगर दिमाग घोड़े से भी तेज चलता था। उसने उस बंजर जमीन पर एलोवेरा लगा दिया।👇

 

नज़रिया का खेल,Aloe-vera,#aloe-vera,#aloe-vera-farming

 

और वह जमीन इतनी बड़ी थी। कि वह व्यापारी का एलोवेरा जेल के लिए जो स्टॉक चाहिए होता था।

उसका आधा से ज्यादा वही उत्पादित कर देता।

इससे क्या हुआ व्यापारी का पैसा बचा और वह और अधिक मालामाल हुआ।

और अब सारे गांव वाले इसके हरियाली देखकर दंग हुए।

हल्कू के खेत को अब कोई पूछता भी नहीं था। क्योंकि हल्कू के खेत से कई गुना बढ़ा ऋषभ का खेत था

और आज व्यापारी का है। हर हल्कू के खेत से 5 गुना ज्यादा लाभ देता है।

 

Moral:-👇

Your biggest weakness, can be your biggest strength. You just have to work on it with different mindset.  

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1@..पर्स पीछे न छूट जाएं

2@..रिश्तों में दरार

3@..जैसा दिखता है:- वैसा होता नहीं ( बर्बादी अक्सर बर्बादी नहीं होती)

_______*Meri Kitabe*_______
1@..हाथ जोड़ ली – और शक्ति छोड दी : समझ ज़रूरी है! (Hindi Edition) Kindle Edition
2@..अंधेरों का उजियाला (Hindi Edition) Kindle Edition
3@..आत्म-शक्ति! (Hindi Edition) Kindle Edition
_______*Meri Kitabe*_______
(नज़रिया का खेल)
(नज़रिया का खेल)
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लाख बीमारी का सिर्फ एक ईलाज 👉

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खुशियों का इंतजार

forhindi 16 नवम्बर 2021 0 comment

खुशियों का इंतजार

यह आजकल का जो दौर चल रहा है। किसी के पास वक्त कहां है। सब कुछ जल्दी-जल्दी चाहिए।

जितनी जल्दी हो सके चाहे वह पैसा डबल करना हो ,शादी करनी हो, रिलेशनशिप में आना हो।

सब कुछ जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा। ‘ शुभ आरंभ‘ मगर वही बात आ-जाय रिश्ते निभाने की तो सब लोग इंतजार ही करते हैं।

कि पहले यह माफी मांगे तो फिर मैं भी करूंगा कोशिश बात करने की। क्योंकि बात इज्जत पड़ आ जाती है।

इज्जत! हां! हां! इज्जत मानता हूं बहुत जरूरी चीज है। मगर ईगो और इज्जत एक नही होते जैसा लोग समझते हैं।

अपने घमंड को ना झुकने को इज्जत से जोड़ लेते हैं। जैसे जलालुद्दीन अकबर अपनी बेटियों की शादी नहीं करवाता है

क्योंकि उसे झुकना पसंद नहीं था। और शादी में बेटी के बाप को दूल्हे के आगे झुकना जो पड़ता है।

मगर मीना बाजार लगवाता है। यह है इज्जत। ठीक है अकबर को मानता हूं ।पर क्या इज्जत ऐसे मिलती है।

किसी के फिलिंग्स को मार के औरों को बेइज्जत करके।भाई!मानता हूं-ईज्जत बहुत जरुरी है। मगर ज्यादा घमंड नहीं।

खुशियों का इंतजार, #Moralstoriesinhindi

 

मेरी ही बात ले लो। व्हाट्सएप और ज्यादा दोस्त पसंद नहीं।

मगर वह अपनी जगह होना चाहिए ना। आज दिवाली है,

मेरी बहनों ने सुबह सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को दिवाली की शुभकामनाएं भेज दी और पा-भी‌ ली।

मैं थोड़ा देर से उठा तो पाता हूं ।उसकी दोस्तों और रिश्तेदारों ने हैप्पी दिवाली विश किया है।

मगर मेरा एक भी नहीं। तो मैंने सोचा मैं क्यों भेजूं! इंतजार करता हूं।

कोई ना कोई भेजेगा ही। तब मैं भेजूंगा मगर उस इंतजार में मैं सिर्फ लेने के चक्कर में उदास हो गया- परेशान हो गया।

सिर्फ बाहर से मुस्कुरा रहा था। तभी अचानक एक दोस्त का मैसेज आया “हैप्पी दिवाली भाई “मैं  खुश पता चला

खुशी का इंतजार नहीं करते शुरुआत करते हैं।

जो मुझे उस दोस्त के मैसेज ने बताया और बिना कुछ दो-बार सोचे।

सब को मैसेज कर दिया। और सबने इतनी जल्दी मैसेज किया कि मैं खुश हो गया।

अब जो परेशान हो रहा था उसके दर्द से छुटकारा पा गया और अब अंदर से भी मुस्कुरा रहा था

और बाहर से भी मुस्कुरा रहा था। शायद वह भी इंतजार कर रहे थे और अब वह भी मुस्कुरा रहे होंगे।

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[email protected](किस्मत)

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(खुशियों का इंतजार)

(खुशियों का इंतजार)

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लाख बीमारी का सिर्फ एक ईलाज 👉

forhindi 31 अक्टूबर 2021 1 comment

 लाख बीमारी एक ईलाज 👉

बिना दाँतो के-माँस लटके पड़े थे। मगर चेहरे पर अभी-भी तेज चमक रहा था।

उम्र साठ के पार होगी।चल तो लेती थी मगर पीठ झुका के चलती थी।

वो दादी माँ मेरी तो नही थी, मगर बोलते थे दादी माँ ही।वो मेरे को एक दिन अपने पास बुलाती है

वैसे तो वह गा-गाकर बोलती थी।मगर उनका गला बड़ा साफ था।यानिकि बड़े लहजे के साथ गाती थी,

और जिंदगी के सारंश बड़े सरल तरीके से समझाती थी। उसी कड़ी का यह एक किस्सा है।

मेरे और उनके बीच का, मुझे बड़े लाड से बुलाती है और पूछती है

‘लाखो दुखो का एक ईलाज है’ बताओ क्या?

तु ! तु पढता है ना ! बता ! बता ! इसका ईलाज क्या है ?

नही तो अभी मै डंडा उठाती हूँ।

मै बोला हँसना तो बोली नही! फिर मैने बोला घबराना नही।तो बोली ये भी नही!

मैं बोला अरे! दादी फिर क्या है।

तो बोली “मुँह बंद रखना।”

 लाख बीमारी एक ईलाज 👉, Hindistories

मै उनकी उम्र से जितना छोटा था। उतनी ही मेरी समझ। मै बोला कैसे? तो बोली :-

“एक आदमी था। उसके जीभ से कभी शेफ(लाड़) नही निकलता था।वो उसके लिए दवा ले-लेकर , अक्कड़-बक्कड़ समान खा-खाकर थक गया मगर, ईलाज संभव ना हो सका।उल्टा वो बिमार पर जाता।थक-हार गया था।दस-बीस सालो से दवा खाते-खाते और डाक्टर बदलते-बदलते। मगर उसका पानी कभी निकलता ही नही था।इसी कड़ी मे डाक्टर के बदलने मे वो मिला एक डाक्टर से । डाक्टर ने पूछा, “क्या बिमारी है?” तो ये बोला,”मेरी जीभ से शेफ(लाड़) नही निकलता।  मै पिछले 20 सालो से दवा और समान खा-खा के थक गया हूँ।

 लाख बीमारी एक ईलाज 👉,Hindistories

 

तो डाक्टर साहब इस बार कृप्या दवा ना देना। तो डाक्टर बोलता है,”ईधर आके, मेरे सामने चेयर पर बैठो।” और डाक्टर आधा किलो ईमली माँगाता है।और उसके सामने बड़े चाव साहब चूस-चूस कर के खाता है। और इसे बोलता है। अपना जीभ निकालो।  डाक्टर को वैसे बड़े आनंद के साथ खाते देख उसके जीभ पर ,यह क्या उसे भी यकीन नही हुआ रस आ गया।  वो बोला डाक्टर जो काम दवाई और खाने ना कर पाय वो ईमली ने कर दिया।

 लाख बीमारी एक ईलाज 👉,Hindistories

 

तो डाक्टर बोला,”अरे! पागल ईमली ने नही तेरे मुँह बंद ने यानिकि कुछ ना खाकर सिर्फ देखने कि कला ने तेरे इस बिमारी का हल निकाल दिया।इस प्रकार उसका भी ईलाज हो गया और मेरे भी समझ मे कुछ ईजाफा हो गया। फिर वो बोली आया। समझ ! मैं बोला,”हाँ दादी आ-गया।  फिर से वो बोली कि, मेरे दाँत नही हे तो लोग पूछते है तुम खा कैसे लेती हो? तो मै बोलती हूँ, खाने के लिए शेफ(लाड़) की जरूरत होती है। चाहे रोटी खाओ-चावल खाओ या कुछ भी। दाँत नही सेफ(लाड़) कि जरूरत होती है। मै मुस्कुराया और उनको यह बोल के चला आया कि मुझे कुछ लिखना है।जाने दो। उन्होन हाथ मेरा छोड़ दिया।

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#besteducationalstoryinhindiforstudentsandeveryone#besthindistorywithmiral#bestshortmoralstories#hindistory#shortmoralstoryinhindi#storyinhindi#वृध्दाश्रम

वृध्दाश्रम

forhindi 11 अक्टूबर 2021 0 comment

वृध्दाश्रम

माँ हम बाहर जा रहे है,वर्ना तुझे तो पता ही है।

मैं तेरे बिन नही रह सकता। हम तुझे यहाँ कुछ दिनो के लिए रखने आए है।

मगर तु फिक्र मत कर, मैं जल्द तुझे लेने आ-जाऊँगा।माँ को समझा के रमेश निकल गया,

अपनी बीबी और बच्चे श्याम को लेकर।माँ ने बस एक मुस्कान झलका दी।

मगर वो हकीकत जानती थी।बस उसे आदत-सी हो गई थी दर्द को झुठलाने की ।

और वो इसमे माहिर हो गई थी।माँ वही दरवाजे पर खड़ी बेटे की तरफ देखती रही,

मगर बेटे ने पलटने तक की जहमत ना उठाई। वो गाड़ी मे बैठा और चला गया अपने घर ।

 

माँ वही दरवाजे पर बैठ गई।एक आदमी अंदर से आया वृध्दाश्रम से और बोला माँ-जी, आइए ना अंदर आइय।

वहाँ क्यूँ बैठी है? जो होना था-सो हो गया। अब वो लौट कर नही आने वाला।

आपको यह सच्च स्वीकारना ही पडेगा। आइए मै आपको-आपके उम्र के ढेर सारे लोगो से मिलता हूँ।

कहने को तो वो भी परिवार वाले है, मगर सिर्फ कहने भर ही उनका परिवार है।

बाकि हकीकत तो यहाँ कैद है।सुशीला (यानिकी रमेश कि माँ) अंदर जाने की कोशिश मे एक झूठी मुस्कान झलका देती है।

मगर उसके पैर वही दरवाजे पर ही जम गय थे।

 

 

वृध्दाश्रम,

 

वो सच को झुठलाना तो जानती थी मगर लड़ना नही। उसे जैसे-तैसे करके उठाया-गया।
बाहर से वो अभी-भी मुस्कुराने की ढोंग कर रही थी। मगर अंदर से वो विचलित थी।
मगर उसने अभी-तक अपने जीवन मे ऐसी कई राते-तुफाने और पतझड़ देखे थे। वो खड़
 हो जाती है लोगो के सहारे। और अंदर जाती है तो अपने उम्र के की लोगो को देखती है।
उसे एक तरफ इस बात की खुशी होती है कि अब तो मै एक रद्दी अखबार समझ के किसी कोने मे तो नही पड़ी रहूँगी।

अब मै भी बोल पाऊँगी-बाते कर पाऊँगी तो दूसरी तरफ अपने

ही बनाय घर से बेघर करने तक का सफर अभी-भी उसे कचोट रहा होता है।
मगर वो हिम्मत जुटा के सच्च को स्वीकारती है क्योकि जिसके लिए बचपन से
दर्द को झुठला के हँसती थी ताकि उसे दर्द ना हो।उसी ने यह दर्द दिया था।
तो स्वीकारना तो फर्ज था इनका।जिंदगी का यह फैसला भी उन्हे
उस झूठी हँसी का सामना आँसू बहा कर किया।मगर स्वागत किया।
वो अंदर गई तो उसकी उम्र के की सारे लोग उन्हे मिल गय।
अब वो घर की रद्दी अखबार नही रह गई अब वो टेलीविजन बन गई थी।
वृध्दाश्रम,
 लोग उसके पास आते और बात करते। अब घर की तन्हाई यहाँ की शोर-गुल मे गुजरता था।
अपनी उम्र के लोग थे।तो बाते करनी आसान हो गई थी।
अब उन्हे बोरियत नही सताती थी।ना-ही! वो अब अपनी बहु पर निर्भर थी,

क्योंकि इन्होने इस बार सच्च को झुठलाने नही स्वीकारा था।

सुबह से लेकर शाम तक कोई ना कोई बैठा रहता था इनके पास और वक्त कैसे बित जाता था।
इन्हे पता भी नही चलता था।
वृध्दाश्रम,

 

मगर फिर भी माँ तो माँ होती है दिल मे बेटे की परछाई अभी-भी थी।

ऐसे ही करते-करते एक-दो साल गुजर गय।मगर रमेश की गाड़ी ऊधर से एक बार भी नही गुजरी।
माँ बेटे को देखने को तरस गई थी-मगर बेटो को फिक्र नही थी।
फिर एक दिन अचानक बेटा आता है और बोलता है माँ घर चल मुझसे बड़ी भूल हो गई थी!
चल मै तुझे लेने आया हूँ। माँ-माँ  होने के नाते खुश हो जाती है।
मगर वो कहती है कि कौन -सा घर मेरा घर तो अब यही है।
मैं यहाँ से कही नही जाऊँगी। तु जा जा के अपना घर संभाल उन्हे तेरी जरूरत है-
उन्हे नही जिसने तुझे इस लायक बनाया है। मैं यहाँ खुशी से हूँ।
अब मुझे-यही रहना है मेरी आखरी साँस तक।

मगर मै कभी उस तरफ नजर भी नही करना चाहती मै।

जा बेटे! अपना जाके घर संभाल। बहू इंतजार कर रही होगी,
यह ले मैने यहाँ पर बैठे-बैठे श्याम के लिए स्वेटर बुना था।
जा के उसे दे-दियो और फिर लौट के मुझे लेने मत अइयो।
मै यहाँ बहुत खुश हूँ।रमेश सिर पटक कर रह गया।
मगर माँ ने अपनी झूठी मुस्कान जरा भी नही बदली।
रमेश थक हार के लौट जाता है।
और सुशीला फिर से मुस्कुरा के जा के एक बेंच पर बैठ जाती है।
उनके दोस्त बात करने आते है-मगर वो थोड़ा शांत रहने कि बात करती है।
मगर मुस्कराते रहती है !…
और सीखने के लिए नीचे दिए गए  लिंक को दबाये
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#besteducationalstoryinhindiforstudentsandeveryone#besthindimoralstoryinhindi#hindimoralstory#shorthindistory#चापलूसी-का-घड़ा

चापलूसी का घड़ा

forhindi 5 अक्टूबर 2021 2 comments

 चापलूसी का घड़ा

 

एक शक्तिशाली राजा था। उस वक्त उससे लड़ने की क्या कोई और राज्य आँख उठाने तक की कोशिश नही करता था उस पर।

मगर उसका एक बेटा भी था। वो थोड़ा बिगड़ हुआ था। बिगड़ हुआ का मतलब यह नही वो लड़ता था।

मतलब यह कि उसको अपनी चापलूसी सुनना बहुत पसंद था। दरअसल वो राजा का बेटा था ना, तो लोग उसे प्रसन्न रखन की कोशिश करते।

जिससे उन्हे ईनाम मिलता था राजा के बेटे कि ओर से। उसको अपनी तारीफ सुनने की लत लग गई। उसको बिना भनक लगो वो इस आदत का शिकार हो गया।

 

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राजा; अब वृध्द हो चला था।तो वो अपनी राजगद्दी छोड़ देता है।और उसका बेटा उस गद्दी पर आश्रित हो जाता है।

मगर जैसे मक्खी के पास मक्खी आते थे। उसी प्रकार इस चापलूसी सुनना वाले राजा के पास चापलूसी करने वाले लोग आ-गय।

और काम-काजी लोग कण हो गय। मगर इसको इन सब से कोई दिक्कत नही थी।

क्योंकि इसको अपनी चापलूसी के अलावा और कुछ ना तो सुनाई देता था।ना और कुछ दिखाई देता था।

 

 

इससे इसके राज्य के लोग दुखी हो गय, राज्य की अर्थव्यव्स्था कम हो गई।

और अब दूसरे राज्य के राजा ने इसकी इस कमजोरी का फायदा उठाने की सोचने लगो।

इसके पिता ने इसको समझाया और मंत्रीय ने भी मगर यह उन सब की अनसुनी कर देता है।

 

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मगर बहुत जल्द ही इसके राज्य पर दूसरा राज्य आक्रमण कर देता है।

यह उस युध्द मे हार ही जाता मगर इसकी बहुत बड़ी संख्या मे सेना ने जैसे-तैसे युध्द जीता।

युध्द जीत तो लिया मगर हालत बहुत खराब हो गई थी।तब जाके इसको अक्ल आता है,

और यह सोचता है कि जिन राज्य ने कभी हमारी तरफ आँख तक ना उठाई थी

उन्होने आज तलवार कैसे उठा लिया। यह उत्तर जानने के लिए यह की विद्वानो से मिलता है।

 

 

उसको सलाह मिलती है कि वो अपने आस-पास के लोगो को हटा के कुछ नय लोगो को भर्ती करे।

तो वो कितने लोगो को हटाय। और कैसे इतने सारे को हटाय।वो भी बिना वजह बताय।

तो यहाँ से उसके दिमाग मे एक खिचड़ी पकती है, जो अधिकतर कर्मचारीयो को हजम नही होती।

राजा कुछ आस-पास के मंत्रीय से मिल अपने राज पंडित के साथ एक प्लान बनाता है।

और जहाँ राजा बैठ के मंत्रणा करता था, वही पर बगल मे एक सोने का बहुत आकर्षक मटका रख दिया था।

उस पे लिखा था-चापलूसी का घड़ा।

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राजा सुबह-सुबह वहाँ पहुँचता है, तो वह देख कर हैरान हो जाता है।

उस विचित्र से मटके/घड़े को देखकर।अपने प्लान के मुताबिक वो पूछता है कि

यह चापलूसी का घड़ा आखिर यह क्या है?

तो राज पंडित को बुलाया जाता है क्योकि वो घड़ा थोड़ा पौराणिक था।

तो पंडित ने बोला महाराज यह कुबेर के धन कोष का एक बड़ा ही विचित्र घड़ा है-

जो चापलूसो को इनाम के तौर पर धन राशि देता है। वो भी स्वर्ण।

तो राजा बोलता है मै यह सब नही मानता भला ऐसा कैसे हो सकता है?

तो राजा यह जानने के लिए एक दरबारी को बुलाता है।दरबारी राजा के साथ मिला हुआ था,

तो राजा के ईशारे पे वो अपना नाम लिख उस घड़े मे डालता है।

तो फलस्वरूप उसे वहाँ सोना मिलता है। इसे देख सब हैरान हो जाते है।

 

 

और रात मे लोग छूप-छूपकर सब अपना नाम डालते है।

सुबह का नजारा बहुत ही अचरज भरा होता है-चापलूसी का घड़ा कागज़ से भरा होता है।

और राजा उन सब को वहाँ से निकाल देता है।और नय कर्मचारी की भर्ती करता है।

मगर सिर्फ चेहरे ही नय होते है; काम वही पुराने करते था। राजा इससे परेशान फिर से वही नाटक करता है,

और फिर नय लोगो कि भर्ती करता है। मगर वो राहत साहब ने कहा है ना;

“कि बस किरदार बदल रहे है, काम वही पुराना चल रहा है।” वही हाल यही था।

इस तरह राजा ने दस-बारह बार करके इतने बार नाटक किया।

मगर फल कुछ नही हुआ। इससे परेशान राजा फिर विद्वानो से मिलता है।

मगर सब का जवाब वही था लोग बदलो।

मगर वो इस उत्तर से परेशान थक-हार के अपने पिता के पास जाता है।

पिता ने प्यार से बोला बेटा, तुमने लोगो को बदला मगर उसको नही जो लोगो को रखता है।

वह जो लोगो को तनख्वाह देता है और वह हो तुम तुमने सब को बदला,

मगर अपने कानो को नही जिसे सिर्फ चापलूसी सुनना पसंद है।

और एक मक्खी के पास मक्खी ही आते है, तितलिया नही।

राजा बात को  मानता है। और अपने आप को बदलता है।

और फिर कुछ ही सालो मे उसका यश-धन-वैभव-सब बढ़ जाता है।

                                             ***   प्रेरणादायक – कहानियां   ***

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चापलूसी का घड़ा

चापलूसी का घड़ा

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#aimbitions and ways story in hindi#besteducationalstoryinhindiforstudentsandeveryone#besthindistories#besthindistoriesshortwithmoralमंजीले और रास्ते

मंजील और रास्ते

forhindi 30 सितम्बर 2021 0 comment

मंजील और रास्ते

हम सब की मंजील स्कूल थी।दरअसल हुआ यह था कि मै और मेरे कुछ 6-7 दोस्त स्कूल से निकले थे।

और तय यह हुआ कि आज हम दो-दो कि समूह मे अलग-अलग रास्ते से स्कूल जायेगो।

हम सब चार गुरूप मे बँट गय।मै और मेरे एक दोस्त ने  गली नंबर चार चुनी।

दूसरे ने दो। तीसरे ने तीन।और पहले ने एक। हम ऐसे चार गुरूपश मे बँट गय।

और बोले चलो अब निकलते है। हम सब निकल पड़े। सब रास्ते थोड़ी-थोड़ी दूरी पर थे, और घुमावदार थे।

मगर सब पहुँचते एक ही जगह थे। यानिकी हमारी मंजील तक।मेरे सारे दोस्त एक-एक करके स्कूल पहुँचे,

मगर हम गली नंबर चार वाले थोड़ी लेट पहुँचे। तो मेरे दोस्तो ने बोला कि गली नंबर चार गलत है।

क्योकि वो लेट पहुँचाता है। मगर हम ही जानते थे कि वो गली सही है या नही।

क्योकि असल मे तो हम उस गली से आय थे। तो उन्होने कैसे जाना कि वो रास्ता सही है या गलत है।

हो तो यह भी सकता था कि हम थोड़ी देर के लिए रूक गय हो।

या रास्ता इतना खूबसूरत हो कि हम देखते-देखते आय हो। मगर उन्होने जिन्होने गली घूमी तक नही थी,

सिध्दा गलत साबित कर दिया । सिर्फ इसलिए कि हम थोड़ी लेट आय।

 

मंजील और रास्ते, #hindistoriesonaim, #bestshhorthindistorieswithmoral

 

मगर असल मे हुआ यह था कि मै और मेरा दोस्त एक दुकान पर रूके और बिस्कुट-कुरकुरे खरीदे और सोचा अभी बहुत टाइम है, तो एक जगह बैठ के खाने लगो।और फिर हम आराम से खा के, स्कूल की ओर लपके।और इसलिए हम थोड़ी देर से पहुँचे। और उसके बाद मै उसी राह से आता और जाता। क्योकि भले ही थोड़ा वक्त लेता हो , मगर वह भी वही पहुँचाता था जहाँ बाकि के रास्ते, जो मेरी नजर मे थोड़े फिके थे।

 

मंजील और रास्ते, #hindistoriesonaim, #bestshhorthindistorieswithmoral

 

 

वो रास्ते फिके इसलिए नही थे, कि मै उन से गुजरा था, बल्कि इसलिए था क्योकि मै उन रास्तो से कभी ज्यादा गुजरा नही था। मगर मेरे कुछ दोस्तो को वही राहे पसंद थी। जिन्ह मै थोड़ा फिका समझता था। क्योकि वो उस रास्ते से जा चुके थे।

 

मंजील और रास्ते, #hindistoriesonaim, #bestshhorthindistorieswithmoral

 

और अंत मे यही कहूंगा कि रास्ते टेढे हो-मेरे हो, या लंबे हो या थोड़ा वक्त लेता हो। मगर होने वही चाहिए जो मंजील तक पहुँचाते हो। लेट पहुँचो कोई गम नही,  मगर ना पहुँचो तो गम है।

लेट पहुँचना बुरी बात नही,

ना पहुँचना है।

और हमेशा याद रखना किसी के कह देने मात्र से रास्ता गलत नही हो जाता।

फैसला खुद का होना चाहिए !

फिर चाहे उसके लिए लड़ना पड़े या मरना पड़े।

मगर रास्ता खुद का चुना हुआ होना चाहिए!….

 

 “परिचित राहो पर तो कायर ही तलवारे चमकाते है,

सिर्फ वीर ही अंजान राहो पर बढा करते है!”

                                              … नेपोलियन बोनापार्ट 

और सीखने के लिए नीचे दिए गए  लिंक को दबाये

1..चापलूसी का घड़ा

—  —

 2..भक्ति की शक्ति

—  —

3..वृद्धाश्रम

—  —

4..दो-चिड़िया

—  —

5..लाख बीमारी का सिर्फ एक इलाज 👉

_________*मेरी किताबें*_________

1..हाथ जोड़ ली – और शक्ति छोड दी : समझ ज़रूरी है! (Hindi Edition) Kindle Edition
—  —

2..अंधेरों का उजियाला (Hindi Edition) Kindle Edition

—  —

3..आत्म-शक्ति! (Hindi Edition) Kindle Edition

_________*मेरी किताबें*_________

मंजील और रास्ते

मंजील और रास्ते

 

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बदसूरत

forhindi 28 सितम्बर 2021 0 comment

बदसूरत

काला रंग, छोटे कद-काठी का। वो बंदा था भिवंडी का।बचपन मे ज्यादा दोस्त नही।

बस वही दोस्त के नाम पर चाचा-चाची के बेटा-बेटी और एक स्कूल का दोस्त।

बस इतनी-सी थी उसकी यारो कि गलियाँ।वो अपनी गली मे भी ना पसंद किया जाता

और स्कूल मे भी उससे अच्छे से व्यवहार नही किया जाता।जैसे-तैसे बचपना बीता।और इसके अंदर ऋणात्मकमता का अंकुर सिंचा।

बदसूरत,

 

 

काम ढूंढने गया तो जल्दी काम नही मिला, शादी की बात आई तो जल्दी लड़की नही मिली।

इससे इसकी सोच मे और खोट आई।एक दिन यह एक गली से गुजर रहा था, तो टक्कराया कुछ लड़कियो के झुुंड से।

“छी! तोबा-तोबा, ना जाने कहाँ से आ-जाते है ऐसे लोग।और बाकि सहेलिया हाँ-हाँ-हाँ! करती हुई चली गई!”

बदसूरत,

 

 

यह बस उसके साथ यही होना चाहिए सोच के चला गया। यह उसकी जिंदगी मे पहली बार नही हुआ था, यह उसकी आदत थी।यह सिर झुकाए चुप-चाप चला गया। यह सिर झुकाए चुप-चाप चला गया।

 

बदसूरत यह तन से था पर मन से कौन? 🤔

और सीखने के लिए नीचे दिए गए  लिंक को दबाये

1..मंजिल और रास्ते

—  —

2..चापलूसी का घड़ा

—  —

 3..भक्ति हमारे जीवन में क्या प्रभाव डालती है ?

—  —

4..लाख बीमारी का सिर्फ एक इलाज 👉

***********> मेरी किताबें<***********

1..आत्म-शक्ति! (Hindi Edition) Kindle Edition
—  —

2..जिंदगी – पाप और कर्म (Hindi Edition) Kindle Edition
—  —

3..खुद डूबो – खुद सिखो (Hindi Edition) Kindle Edition
***********> मेरी किताबें<***********

बदसूरत

बदसूरत

 

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एक झूठ और मैं

forhindi 24 सितम्बर 2021 0 comment

एक झूठ और मैं

आज टेस्ट हुआ अर्थशास्त्र का मेरे स्कूल में। मुझे मैडम और बच्चे होशियार समझते हैं।

मगर हुआ यह, कि मेरा एक नंबर कम आ- गया मेरे एक दोस्त से, दोस्ती ज्यादा गहरी नही है । मगर मुझे वो होशियार समझता है। तो उसने मुझसे पूछा ” वरुण ;तेरे कितने नंबर आय!” मै बोला,”14।” वो बोला “मेरे भी इतने ही आए हैं।”  अपनी परीक्षा की कॉपी दीखते हुए।मगर मैने नहीं दिखाया, उसने विश्वास कर लिया। और मै आगे बढ़ गया। एक-दो पिरियड गुजर गया तब एक लड़की आई और बोली वरुण अपना पेपर पर दिखा। तेरे कितने मार्क्स आए हैं?

 

मैने उसे अपना पेपर दे दिया। उसने मेरा पेपर राहुल के सामने खोला। ’13’वो बोला ये कांपी किसकी है? मैं सिर्फ झुकाए बोला “यार मेरी है।” उसके बाद उसने तो कुछ नही बोला।मगर आज शाम तक या कहूँ तो रात मे सोने तक यह मै अपने दिमाग मे सोचता रहुँगा।कि यार मेरे बारे मे वो क्या सोचेगा? मैंने झूठ क्यू बोला?

 

 

यह प्रश्न उसने तो नही किय मगर मेरा मन कर रहा है। मै उस टेस्ट पेपर को भी फाड़ चुका हूँ।

मगर मै इस बात को अभी तक नही भूल पा रहा हूँ! और इसके बारे मे ना चाहते हुए भी अभी-भी सोच रहा हूँ।

 

चापलूसी कि घड़ा

मै तो समझ गया, जितना सच्च बोलने पर वो ना हँसता, उससे ज्यादा मै खुद पर हँसा हूँ, झूठ बोल के!

और सीखने के लिए नीचे दिए गए  लिंक को दबाये

1..पर्स पीछे न छूट जाएं

—  —

2..मन का मनमानापन  !

—  —

3..रिश्तों में दरार

—  —

4..भक्ति की शक्ति

—  —

5..मंजिल और रास्ते

^^^^^^^^^* मेरी किताबें *^^^^^^^^^

1..खुद डूबो – खुद सिखो (Hindi Edition) Kindle Edition

—  —

2..भगवान और इंसान:- 5 कहानियां : शिक्षाप्रद जो हर किसी को एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए (Hindi Edition) Kindle Edition
—  —

3..जिंदगी – पाप और कर्म (Hindi Edition) Kindle Edition
^^^^^^^^^* मेरी किताबें *^^^^^^^^^

एक झूठ और मैं

एक झूठ और मैं

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संभावनाए

forhindi 12 सितम्बर 2021 0 comment

संभावनाएं

 
संभावनाए. #Howtofindopportunityinhindi, #Hindistoriesforkids, #Moralstorieswithmoral,

 एक लडका था वह जंगल में भटक गया था वह हर मुमकिन प्रयास कर रहा था

अपने आप कोजीवित रखने की जब रात हो जाती तो सोने की तलाशी कर लेता।

चोट लग जाती तो कपड़ा बांध लेता,मगर कभी हर नहीं  मानता ।

क्योकि जीने से ज्यादा अच्छी आदत कोई नहीं होती। वह कभी हारता ही नहीं था।

एक दिन क्या हुआ उसका  आधा पेट तो क्या एक-दो कवर की जितनी भी खाना नहीं मिला।

और वह पूरा दिन तड़पता  रहा।  और शाम को एक भालु को उसने सामने मे देख लिया।

पैर  में चोट लगी थी। मगर जिंदा रहने की उम्मिद मे वह भाग ने लगा ।

जब उसे लगा की वह  नहीं भाग सकता ।तो उसने भालू और दो दोस्त की कहानी सुन रखा था ।

तो वह भी अपना साँस रोककर भूमि पर लेट गया। और भालु ने उसे उस लड़के की तरह ही छोड़ दिया।

अब ये थोड़ी देर मे उठता है और साँस।पर साँस लेने लगती है।

संभावनाए. #Howtofindopportunityinhindi, #Hindistoriesforkids, #Moralstorieswithmoral,

और अंधेरा में कही छूपने , तो पैर के चोट को कम करने तो ,

तो पेट की ज्वाला को शांत करने की कोशिश करता है।

इसे समझ में नहीं आता क्या करें। मरना भी नहीं चाहता था।

तो वह पेड़ो के किड़ो को खा लेता है। जख्म को स्वच्छ जल से धन लेता है।

और वही एक ऊँचे स्थान पर जाके अंधेरे मे ही बड़ी मुशिकल से आग जलाता है।

और थक-हार के सोने की कोशिश करता है।वैसे थकान मे तो नींद आ-जाती है, मगर वो जंगल था।

वहाँ जानवरो को सही से नींद नही आती तो, एक भटके हुए को कैसे आय।मगर वो हार नही मानता है।

 

संभावनाए. #Howtofindopportunityinhindi, #Hindistoriesforkids, #Moralstorieswithmoral,
 

उसको मलूम नहीं था की अगली सुबाह उसके साथ क्या होगा।

वो उस जंगल से निकल पाएगा भी की नहीं ।मगर वाह कोशिश करने को तैयार था।

क्योकि संभावनाएं अनेक थी।  खाना नहीं तो पानी से पेट, चोट पर मलहम नहीं तो  मिट्टी की लेप।

मगर हार मान जाना उसकी डिक्शनरी मे नही था।

वह ऐसे ही कई दिन गुजारा बिल्कुल थक-हार के हताश था, चेहरे पर निशान था।

कुछ और करने कि ताकत उसके अंदर नही थी, सिवाय जीवित रहने कि।

वह कई दिनो से एक नदी को फाॅलो कर रहा था। वो नदी खत्म होने का नाम नही ले रही थी।
संभावनाए. #Howtofindopportunityinhindi, #Hindistoriesforkids, #Moralstorieswithmoral,

 

मगर इसको जीना था।और नदी को फाॅलो करने का तरीका इसको मालूम था।
यह ऐसी हालत मे एक छोटे गाँव पहुँचा था।कि उस हालत मे कोई व्यक्ति चल ही नही सकता था।
मगर उस गाँव मे उसका मरहम-पटटी हुई।और फिर से उसे शहर भेजने कि तैयारी कि गई।
 
 
 
हमेशा याद रखना, हर सिक्के के दो पहलू होते है।चाहे परिस्थित कैसी भी हो।
बस तुम्हे लड़ना आना चाहिए। अपने साथ खड़ा होना आना चाहिए!….वरूण 
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1..पर्स पीछे न छूट जाएं
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2..रिश्तों में दरार
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3..खुशियों का इंतजार
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4..लाख बीमारी का सिर्फ एक इलाज 👉
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5..चापलूसी का घड़ा
—  — —  — *मेरी किताबें * — —  — —  —
1..भगवान और इंसान:- 5 कहानियां : शिक्षाप्रद जो हर किसी को एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए (Hindi Edition) Kindle Edition
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2..खुद डूबो – खुद सिखो (Hindi Edition) Kindle Edition
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3..आत्म-शक्ति! (Hindi Edition) Kindle Edition
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संभावनाए
संभावनाए
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अलग सोच: जरूरी क्यो 🤔

forhindi 8 सितम्बर 2021 0 comment

अलग सोच: जरूरी क्यो 🤔

अलग सोच: जरूरी क्यो 🤔, #Hindistorieswithmoral, #educationalstoriesinhindiwithmoral, #hindistoriesforkids,

एक लकरहारा था। वह बहुत मेहनती और कर्मठ था ।

वह पिछले काई सालो से पेड़ को काट काटकर कर गुजरा करता था।

उसका एक बेटा भी था। जो भी शायद 8-9 साल का हो गया था।

वह अपने पापा के साथ अक्सर जाता जब भी उसे छुट्टी मिलती स्कूल की तो।

वह यह देख कर हैरान होता  की उसके पापा एक पेड़ काटने में चार- पांच घंटे लेते हैं ।

भले ही वह काई सालो से वह वाह कम करते हैं। मगर फुर्तीा की भी तो ना थी।

वही एक उद्योगपति एक दिन में सैकड़ो पेड़ गिरन  देता।यह यही देखते-देखते बड़ा हुआ।

यह 14-15 साल का हुआ स्कूल छोड  पिता के काम में हाथ बटाने लग गया।

और वह  जंगल के उस भाग में जाता था।जहाँ कोई तालाब नहीं था और ना ही नदी।

वहाँ जाना कोई भी पसंद नहीं करता था। मगर यह अपने साथ खाने पीने के लिए की पानी ले जाता था।

और अपने पिता से ज्यादा पेड काट कर लाता। उसके पिता यह देख कर हैरान हो जाते हैं।

क्योंकि उस गर्म स्थान में इतना काम कैसे हो पाता है। तो वह एक दिन उसके  साथ जाते हैं

तो बिलकुल हैरान हो जाते हैं।

अलग सोच: जरूरी क्यो 🤔, #Hindistorieswithmoral, #educationalstoriesinhindiwithmoral, #hindistoriesforkids,

 

उस भाग के अधिकतर पेड सुख चुके थे। जिन्हे काटने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती थी।  बस एक-दो कुल्हारी में काम हो जाता था। मगर वह बहुत गरम स्थान था जिसकी वजह से लोग उधार आया नहीं करते थे। मगर कुछ सालो में यह लोग अमीर हो गय। और अपना एक लकड़ी काटने वाला व्यवसाय खोल दिया।  जब तक लोगो को उधर जाने का ख्याल आता। जब-तक वह  सरकार से वह जमीन खरीद चुका था। और अब  लाखो रुपय कामता था।

वो करो जो लोग नही कर रहे, थोड़े साल तकलीफ होगी;मगर नाम हमेशा जीवित रहेगा!

वहाँ भीड़ नही होती है, जो जगह अभी तक खोजी नही गई हो!

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1..पर्स पीछे न छूट जाएं

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2..रिश्तों में दरार कैसे आ जाता है ?

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3..लाख बीमारी का सिर्फ एक इलाज 👉

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 4..भक्ति हमारे जीवन में क्या प्रभाव डालती है ?

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5..चापलूसी का घड़ा

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1..हाथ जोड़ ली – और शक्ति छोड दी : समझ ज़रूरी है! (Hindi Edition) Kindle Edition
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2..Radha-Krishna Communication:-: Whom fault ? Kindle Edition
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3..आत्म-शक्ति! (Hindi Edition) Kindle Edition
__________*मेरी किताबें*__________

अलग सोच: जरूरी क्यो 🤔

अलग सोच: जरूरी क्यो 🤔

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पढ़े पर मान न ले बिना तर्क-वितर्क के - क्युकी 

इस दुनिया में सबसे ऊंची -से -ऊंची ज्ञान भी 

आपकी चेतना से बड़ी नहीं है !

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