लाख बीमारी एक ईलाज 👉
बिना दाँतो के-माँस लटके पड़े थे। मगर चेहरे पर अभी-भी तेज चमक रहा था।
उम्र साठ के पार होगी।चल तो लेती थी मगर पीठ झुका के चलती थी।
वो दादी माँ मेरी तो नही थी, मगर बोलते थे दादी माँ ही।वो मेरे को एक दिन अपने पास बुलाती है
वैसे तो वह गा-गाकर बोलती थी।मगर उनका गला बड़ा साफ था।यानिकि बड़े लहजे के साथ गाती थी,
और जिंदगी के सारंश बड़े सरल तरीके से समझाती थी। उसी कड़ी का यह एक किस्सा है।
मेरे और उनके बीच का, मुझे बड़े लाड से बुलाती है और पूछती है
‘लाखो दुखो का एक ईलाज है’ बताओ क्या?
तु ! तु पढता है ना ! बता ! बता ! इसका ईलाज क्या है ?
नही तो अभी मै डंडा उठाती हूँ।
मै बोला हँसना तो बोली नही! फिर मैने बोला घबराना नही।तो बोली ये भी नही!
मैं बोला अरे! दादी फिर क्या है।
तो बोली “मुँह बंद रखना।”
मै उनकी उम्र से जितना छोटा था। उतनी ही मेरी समझ। मै बोला कैसे? तो बोली :-
“एक आदमी था। उसके जीभ से कभी शेफ(लाड़) नही निकलता था।वो उसके लिए दवा ले-लेकर , अक्कड़-बक्कड़ समान खा-खाकर थक गया मगर, ईलाज संभव ना हो सका।उल्टा वो बिमार पर जाता।थक-हार गया था।दस-बीस सालो से दवा खाते-खाते और डाक्टर बदलते-बदलते। मगर उसका पानी कभी निकलता ही नही था।इसी कड़ी मे डाक्टर के बदलने मे वो मिला एक डाक्टर से । डाक्टर ने पूछा, “क्या बिमारी है?” तो ये बोला,”मेरी जीभ से शेफ(लाड़) नही निकलता। मै पिछले 20 सालो से दवा और समान खा-खा के थक गया हूँ।
तो डाक्टर साहब इस बार कृप्या दवा ना देना। तो डाक्टर बोलता है,”ईधर आके, मेरे सामने चेयर पर बैठो।” और डाक्टर आधा किलो ईमली माँगाता है।और उसके सामने बड़े चाव साहब चूस-चूस कर के खाता है। और इसे बोलता है। अपना जीभ निकालो। डाक्टर को वैसे बड़े आनंद के साथ खाते देख उसके जीभ पर ,यह क्या उसे भी यकीन नही हुआ रस आ गया। वो बोला डाक्टर जो काम दवाई और खाने ना कर पाय वो ईमली ने कर दिया।
तो डाक्टर बोला,”अरे! पागल ईमली ने नही तेरे मुँह बंद ने यानिकि कुछ ना खाकर सिर्फ देखने कि कला ने तेरे इस बिमारी का हल निकाल दिया।इस प्रकार उसका भी ईलाज हो गया और मेरे भी समझ मे कुछ ईजाफा हो गया। फिर वो बोली आया। समझ ! मैं बोला,”हाँ दादी आ-गया। फिर से वो बोली कि, मेरे दाँत नही हे तो लोग पूछते है तुम खा कैसे लेती हो? तो मै बोलती हूँ, खाने के लिए शेफ(लाड़) की जरूरत होती है। चाहे रोटी खाओ-चावल खाओ या कुछ भी। दाँत नही सेफ(लाड़) कि जरूरत होती है। मै मुस्कुराया और उनको यह बोल के चला आया कि मुझे कुछ लिखना है।जाने दो। उन्होन हाथ मेरा छोड़ दिया।
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !