टूटी-बिस्कुट
रोशन और उसका छोटा भाई साहिल, अपनी मम्मी-पापा के साथ गाँव मे रहते थे।
कहने को तो वह अपने चाचा चाची दादा दादी के साथ के घर में रहते थे।
मगर असल मे वो घर दो मकानो में बटाँ हुआ था।एक मे उनके चाचा-चाची और दादा-दादी रहते थे।
और दसरे मे ये लोग । छोटा परिवार सुखी परिवार की तरह। माँ घर संभालती-पिता घर चलाने के लिए जाॅब पर जाता।
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माँ खुश थी की अब पूरे परिवार की जगह सिर्फ 4 सदस्यो का खाना बनाना पड़ता है।
और जेठानी से दब के भी नहीं रहना पड़ता था यह अलग होके एकदम खुश थी।
किताबो मे दिखाय छोटा परिवार सुखी परिवार की फोटो कि तरह।
और जैसे हर घर में होता है, इनके पिता जब भी जाॅब से लौट के आते।
तो इनके खाने के लिए जरूर कुछ-न-कुछ लाते।और अक्सर बिस्कुट ही लाया करते।
तो आज भी इन्होंने बिस्कुट लाया। मगर संयोग से उस पैकेट मे दो-चार बिस्कुट टूटे पड़े थे।
रोशन बड़ा होने के नाते बिस्किट बाँटता है।तो वह दो टूटी हुई बिस्किट साहिल को दे देता है।
और दो खुद रख लेता है। जिस पर साहिल छोटे होने की वजह से बोल पड़ता है।
मम्मा मुझे भैया ने टूटी हुई बिस्कुट दी है जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है।
और अच्छी वाली सारी रख ली है। इस पर माँ वैसे भी सुबह से उन दोनो की हरकत से दुखी थी, तो बोली क्यू रे!
वो छोटा है तो उसको पूरा नही दे सकता।टूटे हुए तु रख लेता।
तो इस पर रोशन जवाब देता है टूटे हुए सिर्फ अकेले मै ही कयू लूँ? क्या वो नही ले सकता?
तो इस पर माँ क्रोधित होकर एक थप्पड लगाती है, और बोलती है-तु जुबान लगाय गा मुझसे।
और दोनो से बिस्कुट छिन अपने पति को हाथ मे थमाते हुई बोलती है; क्यू जी,
आपको यह टूटी हुई बिस्कुट ही मिला था लाने को!
लो ले-जाकर वापस कर दो उस दुकान दुकानवाले को।उससे कहना कि अब से हमे ये टूटे हुए बिस्कुट ना दिया करे।
हाँ! कह देती हूँ। मैं! मुझे भी टूटे हुए बिस्कुट पसंद नही है बिल्कुल भी नही।
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !