महाभारत
एक महाभारत कौरव और पांडव में हुआ।और पांडव जीत गए। और एक महाभारत हमारे से होती है।
नहीं कोई सैनिक; न कोई शास्त्र ;ना घोडे कोई दूसरा नहीं। मगर जो घाव लगते हैं वह बड़े ‘बेमिसाल’ होते हैं ।
कुछ विचार ही होते हैं। और कुछ नही। मामूली से दिखने वाले विचार। एक दिन में करोबार पैदा होने वाले।
जिन पर हम काई बार ध्यान भी नहीं देते। लेकिन जब यह युध्द होती है।
तब सिर्फ एक सोचा हमारे पूरे शरीर को छल्ली कर देता है।जिसे हम नकारात्मक विचार कहते है।
वहाँ पर तो सलाह देने लिए तो श्रीकृष्ण और शकुनि थे। और यहां श्रीकृष्ण और शकुनि हम खुद होते हैं।
वह गौरव जमीन नहीं देना चाहते थे और यह दिमाग अपना अस्तित्व बनाने की सोचता है।
कोई ब्रह्मास्त्र नहीं होता है। और ना ही भीष्म या गुरू द्रोणाचार्य होते हैं।
मगर जो दर्द होता है ना मां कसम बड़ा बेमिसाल होता है ।
उस युध्द को सबने देखा है।
मगर इस युद्ध को छिपाना होता है। वहाँ खुल के चिल्ला थे। यहाँ रोना भी छूप के पडता है।
वहाँ सर किसी को किसी ना किसी की कमी पता थी।मगर यहाँ सिर्फ हम होते हैं,
और हमारे रोज वाले मामूली से दिखने वाले सोच।
कमी हमे नहीं पता होती है, मगर फिर भी यह हमे तोड़ देता है ।
और कभी-कभी जीत जाता है, तो कभी-कभी निर्ममता से दबा देते है।
मगर जो भी हो हर हालत में दर्द खुद से ही खुद को ही होता है।
कोई रास्ता नहीं दिखता। दिखता भी है तो स्याह काला ‘अमावस्या’ की तरह।
और यह हर किसी की लाइफ मे होता है। और होना भी जरुरी है।
इससे हमे हमारे दिमाग और खुद को समझने में मदद मिलाती है। खुद को परखने की शक्ति मिलाती है।
मगर इसे हमे ही जीतना होगा ,क्योंकि विचार हम नहीं है। हमारे विचार है। वो हमे कंट्रोल करेंगे तो हम क्या रह जायेंगो। इसलिय कितनी भी विपरित परिस्थित हो। लेकिन जितना आप को ही होगा। वर्ना आप पछताते रह जाओगो!और खत्म हो जाओगो!
कभी-कभी खुश ना होना भी,
बड़े खुशी की बात होती है!…
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