मछली और मल्लाह
एक रोज, रोज की तरह एक मल्लाह,निकला मछली पकड़ने बड़े उमंग में ।आज का मौसम भी सुहाना था।
और मछली भी खूब सारा पकडाना था ।वह अपनी नाव लेकर कूद पडा समुंदर में।
सोचा चलो आज थोड़ा और आगे चलते हैं। और बाकियो से और ज्यादा मछलिया पकडते है।
वह आज समुद्र के उस हिस्से मे पहुँचाता है। जहां आज तक कोई नहीं गया था।
और सुनाने में यह मिला था वहां के बारे में की बहुत साड़ी मछली रहती है वहाँ पर और शार्क भी।
मगर लालच ने डर को पस्त कर दिया था।
वह सहमे दिल से मछली पकड़ने लगा उसने शाम तक बहुत सारी मछलीयां पकड़ ली।
लेकिन अब अंधेरा घाना हो गया ।और इसे डर लगाने लगा। इसी बीच एक आवाज सुना दी।
इसने इधर-उधर दिखाता है तो पता चला यही तो मछली थी ।वाह दंग था।
![मछली और मल्लाह](https://i0.wp.com/1.bp.blogspot.com/-drwOH4RDiI8/YQYGp6PiqyI/AAAAAAAADtw/M4QdtSXXIbkUPg-428-QEfoXjPQdzDGfACPcBGAsYHg/w356-h215/Screenshot_20210729-175333_YouTube%2BMusic.jpg?resize=356%2C215&ssl=1)
उसे लगा कि वह सपना देख रहा है ।उसने अपने-आप को चिटी काटी और पता चला की वह हकीकत है ।
तो मल्लाह थोड़ा अचरज के साथ बोलता है। हाँ! बोलो क्या हुआ ?मछली बोली”
ये बता तू हद से ज्यादा मछली क्यो पकड़़ता है। जब तेरा पेट यह इतना छोटा सा है
तो हमे इतनी बड़ी सांख्य में क्यों पकड़ता है। वह बोला तुझे सिर्फ मेरे यह छोटा सा पेट दिख रहा है ।
मगर तुझे सच्चाई पता नहीं है इस पेट की पिछे भी कोई पेट है जिसे भराना भी और कुछ बनाना भी है।
इसलिए इतना ज्यादा सांख्य में पकड कर मार्केट में बेचता हूँ।
और जितनी ज्यादा मछलिया होगी इतनी ज्यादा कामई होगी।
और जितनी कामई होगी उतनी मेरी परिवार आबाद होगी।
मछली फिर पुछती है “और हमे जो तु हमारे परिवार से अलग करता है।
कोई तेरे परिवार के साथ करे तो। इस पर वह गुस्से मे बोलता है।
“तू ज्यदा मत बोल। तुम्हारी कौन सी परिवार है। और याह तो मेरा कर्तव्य है।
तुम ही मेरी कामई का स्त्रोत हो और क्या है मेरे पास! तुम लोगों का शिकार करने के अलावा।
वह मछली दोबारा बोली “आज तु कैसे आ-गया हमारे ईलाके मे।
वह बोला मेरी लालच ने मुझे यहां ले आई और ज्यादा कामने की चाहत ने मुझे यहाँ ला दिया।
मछली बोली इसिलिए तु यहाँ आया। यह तूने क्या किया?
तूने पहली बार उस ईलाके को पार कर के औरो को पार करने की आश दे-दी।
आगर तु यहां से जिंदा लौट गया तो कल तेरे साथ और भी कोई लोग आयेंगे और हमारा इलका भी तुम लोग से भर जाएगा।
अब बता हम तेरे साथ क्या करें। क्या तुझे हम सब मिलकर खा ले ।या तुझे छोड़ दे।
मगर तुझे छोडू तो छोडू क्यों? तुझे छोड देंगे तो-तु कल और को लेकर आयेंगे। तो वह बोला अगर मैं मार गया।
और अगर मैं घर नहीं पुहुँचता हूं ।तो कल और भी बहुत से मछुआरे आयेगे और
जब ने बहुत देर हो जाएगा और एक भी शार्क नहीं दिखेंगे समुंदर में ।
तो लोगो को पता चल जाएगा कि यहाँ कोई शार्क नहीं है। तब वो कल से बहुत बड़ी संख्या मे यहाँ आयेगो।
लेकिन मुझे छोड दोगे। तो भैया यह वादा करता हूं ।उन सबको घर जकर बता दूंगा किया बहुत बड़ी-बड़ी शार्क मछली है।
हमारी नाव से भी बड़ी-बड़ी और फिर तुम देखना कोई नहीं आने की कोशिश करेंगे इस ओर।
और तुम बोलोगे तो मैं तुम सब को यहीं छोड दूं! बस तुम मुझे मेरे घर का रास्ता बता दो!
वह मछलियो मे से आधे को छोडता है । वह पहले से भी कम मछलिया लेकर घर पहुँचता है ।
तो सभी मछुवारे उसे घेर लेते है और पूछता है कि इतनी देर मे आया अगर बस यही इतनी-सी मछली ही लेकर आ पाया है।
तो इस पर वह बोलता है भाईयो शुक्र मनाओ कि मै लौटकर वापस जिंदा आ पाया।
![मछली और मल्लाह](https://i0.wp.com/1.bp.blogspot.com/-5WwR21SWTaw/YQYQCMHTsvI/AAAAAAAADuQ/kLUOuMNAdl09HpBq0sCpln5xbKrVXuWmACPcBGAsYHg/w348-h212/pexels-lukas-684385.jpg?resize=348%2C212&ssl=1)
उस तरफ कोई मत जाना! मत जाना! मौत का कुँवा है!कुँवा! मगर वह अगली सुबह हिम्मत करके सब की नजरों से सुबह जल्दी निकल जाता है और शाम से पूर्व जल्दी लौट आता है। और बड़ा आमदानी कमाता है ।और उस तरफ जाने कि हिम्मत तो क्या कोई देखने कि भी जुर्रत नही करता है ।और इससे यह वहाँ का अकेला सिकंदर था।
कभी-भी औरो कि बातो को सुनकर भरोसा मत किया करो,
बड़ बनना है तो थोडा जोखीम उठाया करो,
और इकलौता इक्का जमाने के लिए लिगल कांड किया करो!
…..varun
RISK HAI ; TOH ISHQ HAI….
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !