स्वप्न और हम
आज दोपहर में , ठंड का मौसम है , तो बिस्तर में पड़ गया , सोचा सो जाता हूं |
लैपटॉप-फोन सब साइड में रख – बिस्तर में घुस तो गया |
पर सोचने की बुरी आदत ,मैं बिस्तर में पड़ा रहा , आंखें चिपकी रही, पर फिर भी मैं जगा रहा |
हाँ ! कुछ सोच रहा था – आंखें बंद थी – तो भी देख भी रहा था |
हां – वो सपना कह सकते हैं | पर मैं सोया नहीं था |
पर मैं सपना कहता हूं – तो आप भी मान लीजिए |
क्योंकि ये मेरी लेखनी है | तो चलिए अब हम विचारों को क़ुदरते हैं –
सपने और हम के आधार पर |
हम अधिकतर लोगों का एक ही सपना होता है – खुश होने का,
सबके साथ – हमेशा हर तरीके से सिर्फ और सिर्फ खुशी |
और इसी को हम जीत भी कहते हैं और ख्वाहिश और सपना भी |
जानते हैं – सपने किस लिए होते हैं –
हमें सच में ना नींद आ जाए और सोए ना रह जाए -हमेशा के लिए |
तो हमें जगाने के लिए होते हैं – सपने |
क्योंकि हम आंखें बंद कर भी – सबके-साथ,
खेलते-कूदते, हंसते-सोते होते हैं|
सपने हमें हमेशा गहरी नींद से उबरने के लिए होते है या नींद ना आने के लिए |
ताकि जो वक्त दिया गया है – वह सच में सिर्फ सोने में ना चला जाए | इसलिए सपने होते हैं |
समय का पालन करने वाले इच्छाएं –
हमारी वर्षो पुरानी और आंतरिक टाइ- टेबल ,
जो हमें असली में जगह रखना चाहती है |
पर फिर भी है तो सपना ही ना |
यही हमें समझना है सपने हमारे लिए है या हम सपनो के लिए |
और वह जो तुम खुद से भी देखते हो – सबके लिए |
वह तो सच में हमारे और हम सबके लिए होती है |
सपना सिर्फ सपने ही रह जाते है क्योंकि हमें सोना है |
भले ही पाना चाहते हैं सच में कुछ पर हमें नींद तो आती ही है |
और हम सोऐ ही रह जाते हैं |
इसलिए सपने टाइम- टेबल की तरह हमारे सामने होते हैं |
पर हम नींद भर के आंख चिपकाए रहते हैं |
क्योंकि सपने हमें देखना पसंद है – उन पर कर्म करना नहीं |
सपने और हम में यही अंतर है –
सपने नींद से डूबने से बचने के लिए है |
और हम इसलिए सोते हैं ताकि हम सपने देख सके |
समझना और सोचना | क्या तुम सपने सिर्फ देखना नहीं चाहते |
इसलिए सपने और हम में दूरियां है |
पर फिर भी जब तक वक्त है | तब-तक सपने हमारे लिए आती रहेगी |
और जिस दिन नहीं आएंगे – समझ लेना हमेशा के लिए नींद आई है तुम्हें |
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Meri Kitabe
ॐ ऐं ॐ |
ॐ एम नमः |
ॐ नमः शिवाय |
स्वप्न और हम