शक🤨
शक🤨
“एक काम कर कैंसिल का बटन उखाड़ के घर ले जा और बजाते रहियो!”
बड़े ऊंची आवाज में गार्ड ने एटीएम में से पैसे निकालने वाले आदमी की ओर इशारा करके बोला।
हुआ यह था, कि मैं एटीएम पहुंचा था, और वहां पहले से ही एक आदमी, जो फोन पर बात कर रहा था। पैसे निकाल रहा था।
और जब उसका पैसा निकल गया- वह लगा आदत कहें या फोन पर ध्यान, पर अधिकतर चांसेस आदत की ही है।
क्योंकि फोन के चक्कर में आदमी को भूख नहीं लगती, तो वह(कैंसिल का बटन) इतने बटनो के बीच कैसे दिखती।
तो हुआ यह कि पैसे निकालते ही वह आदमी कैंसिल के बटन को दबाने लगा और वह इतनी जोर-जोर से कट-कट की आवाज कर रही थी,
कि हम से काफी दूर खड़े- उबासी ले रहे गार्ड साहब को गुस्सा आ-गया। और सुना दिया,
“उखाड़ के ले जा और घर पर बजाते रही-यो, एकदम खराब कर के मानेगा।”
तो आदमी ने जवाब दिया,” अरे! कैंसिल नहीं करेंगे तो कार्ड निकलेगा कैसे?”
और यह एक बार या दो बार मैंने नहीं देखा बल्कि बहुत बार खुद के पापा को भी यही करते हुए देखा है।
यह कोई गलत बात नहीं है। संतुष्टि के लिए दबाव- पर शक ने सबकुछ की जिंदगी बर्बाद कर रखी है।
एक-दो बार ठीक है। पर बार-बार प्यार से भी दबाओगे ना,
तो चाहे रिश्ता हो या पत्थर पानी की बूंद के बार-बार गिरने से टूट ही जाता है।
और यहां शक की वजह आधा-अधूरा ज्ञान भी है।
क्योंकि यह शक की, कैंसिल की बटन दबाने पर ही कार्ड निकलेगा या कोई और
पैसा निकाल लेगा से आया है। मगर यह शक सब में है- किसी-न-किसी रूप में।
पर वास्तव में असलियत यह है कि एक बार पैसा निकल गया तो बिना दुबारा,
भले ही तुरंत अपना कार्ड डाल लो, पिन-कोड डाले बिना पैसा नहीं निकलेगा।
पर लोगों ने यह अपने पापा को करते देखा है- लोगों से सुना और उस लाल रंग की कैंसिल को मंदिर का घंटा समझ लिया,
जिसे हर कोई बजा देता है। भले ही कोई पूजा करें या ना। बस मस्ती के लिए या फिर मन के लिए बजा लेते हैं।
और यही एटीएम की बटन खराब करता है। गार्ड और कस्टमर्स का रिश्ता तो खराब नहीं हुआ।
पर हर वो हाथ जिसको आधा-अधूरा ज्ञान है( शक कह लो) बजाता है उसे।
और यही हम अक्सर अपनी जिंदगी में अपनों के संग दूरियां बनाने के लिए करते हैं।
खुद के खत हर बार कबूतरों से नहीं भेजा करते कभी-कभी कबूतर औरों के छतों पर भी बैठ जाते हैं।
और इंसानों का सबसे ज्यादा बैठता है।
एक और किस्सा है:-
मैं जब उधर से लौट के वापस आ रहा था। तो रास्ते में चौराहा पड़ता है, जिसे गोल-चक्कर कहते हैं।
वहां पर आकर सभी रहे मिलती हैं- तो वहां पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है।
जिसकी वजह से वहां की सड़कों का हाल बहुत बुरा है। और कंस्ट्रक्शंस वालों ने इधर-उधर काटकर।
रास्ता बना रखा है। और लोग उसी रास्ते से गोल चक्कर को पार करते हैं।
तो मैं उसी रास्ते से घर को लौट रहा था, तो उस रास्ते में दो-राहे हैं।
जो एक ही दिशा में आती हैं। तो मैं उनमें से एक लंबे वाले रास्ते से आया, क्योंकि मेरा मन किया।
तो मेरे सामने से एक बुजुर्ग व्यक्ति आ रहे थे, तो उन्होंने मुझे देख कर वह लंबा वाला रास्ता लेने की सोची
( क्योंकि वो शॅर्टकट सामने से बंद दिखता है) पर मैंने उनसे कहा कि, अंकल आपको यह जो सामने दिख रहा है-ना।
यह रास्ता ले-लो। यह शॉर्टकट पड़ेगा। पर उन्होंने मेरी बात पर यकीन नहीं किया
और वही लंबी वाली सड़क जो मैं मस्ती-मस्ती में ले ली थी।वही पकड़ ली और सफर शुरू किया।
लेकिन, जब उन्होंने देखा कि वहां पर सच में रास्ता है-तो खुद ही वापस मुड़के उस शॉर्टकट पर गय।
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !