लव ❤️स्टोरी:👉 तुम और वो पल
काफी लंबी वर्ता के बाद, बिछड़ने का समय हुआ। पर लगा हमकों की अभी-अभी ही तो आय थे-यार।
पर घड़ी इंसानों की तरह थोड़ी होती है। घड़ी ने दिखाया 5:00 मिले
जब शायद 2 या 2:30 बजे रहे थे।
धूप थी तपाने वाली – पर ना वो ऊबे ना हम। वक्त का सूखा था- उन्होंने प्रवाह किया।
हमे भी मजबूरन- अपने-आप को जबरदस्ती वहाँ-से धक्का दे के निकालना पड़ा।
और आते-आते घड़ी को कुछ सुना रहा था- मेरे चारों तरफ बाजार था।
पर मैं घड़ी को देखने और सुनाने में लगा था।
“कुछ देर और नहीं रूक सकता था- तुझ में समझ है कि नहीं है-
फिर समझ में आया की घड़ी का तो काम ही है -बीतते जाना।
गलती उनकी और मेरी थी- दोनों घड़ी जो पहनकर आ-गय थे।
वह कब वहां से निकल मेरी कल्पना में आ गई थी यह मुझे सोने तक पता नहीं चला और
सोता भी कैसे आंख खुले तो वह ना खुले तो वह।
ऐसे में उन्हें जिंदा रखना हमारी जिम्मेदारी भी थी और दिल की मजबूरी भी।
अब इसके लिए चाहे नींद त्यागना पड़े या सुबह लाल-लाल आँख लिए उठना पड़े।
सब मंजूर था – ऐसा एक शख्श के लिए फितूर था। मिलने से पहले दिमाग में
कुछ बोलने के लिए होता ही नहीं है
और जब वो सामने हो तो बिना बातों के बात होते चला जाता है।
मैं सुनाता उनको अपनी रोजमर्रा में से –
कैसे उनके लिए , मैं रोज-मर रहा हूँ – सबसे छूपा के वाली कहानियाँ और
कभी-कभी वो सुनाती मुझे अपने घरवालो की उक्तियाँ।
तो कभी-कभी मैं भटका देता उनका ध्यान खेलते बच्चों को दिखाकर और
वो मेरा अपनी चूड़ी खनका कर – मेरी नींद से भी मेरा ध्यान।
पर ये कहानी सुनाते- सुनाते, पता ही नहीं चला यार-कि कब मेरी कहानियाँ खत्म हो गई और उनकी भी ।
और मेरी और उनकी कहानियों के साथ हमारी भी ! पर सुखद नहीं । हर बचपन की कहानियों की तरह।
पहली मोहब्बत थी और पहली मोहब्बत का हाल सब जानते। पर खैर –
तुम और वो पल – कभी अतीत प्रतीत नहीं होते मुझे।
ऐसा लगता है कि अभी-अभी तो मिले थे। फिर मिलने आएंगे किसी बहाने से।
तुम मेरी कल्पना की उपज हो जिसे रोज – काटता हूं मैं।
मुझे सच में मोहब्बत तो नहीं हुआ – पर हां । तुम्हारा इंतज़ार हमेशा रहा है।
कौन हो तुम – ये पता नहीं।
कब मिलेंगो ये वक्त तय हमने किया नही। मिलेंगे भी या नहीं – ये भी पक्का नहीं !
पर मैं तुम्हे जीता रहुँगा मेरी खाली समय में तुम वो हो – जो अक्सर रंग भर देती हो ।
वक्त कैसे गुजर जाता है तुम और मैं कें चक्कर में पता ही नही चलता और ना-
ही मैं पता रखना चाहता हूँ
। पर जो भी हो मुझे – तुम्हारा और उस पल का इंतजार सदा रहेगा।
और उस पल के खत्म हो जाने का एहसास सदा डराता रहेगा । पर तुम्हास इंतजार रहेगा।
……✍️ वरूण
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