ये आते-जाते लोग
बड़े करीब से देखा है, मैंने लोगों को। उम्र मेरी ज्यादा तो नही पर जितनी भी जी है-
इतना तो जरूर समझ गया हूं- कुछ वादे टूटने के लिए ही बनते है और
कुछ रिश्ते-कुछ लोग बस अपने लाभ के लिए ही जुड़ते हैं- और जिंदगी का किस्सा वही कभी खुशी-कभी गम है।
ये जो आते-जाते रिश्ते-नाते लोग-वोग है ना। बड़ी कमाल की चीज है । और बड़ी जरूरी भी।
ये बताते है कि हमारा परिवार ही हमारी सच्ची दौलत है और खुशियाँ जो पूरी जिदगी रहती है।
इसलिए इन आती-जाती सरकारों पर अपना- समय-प्यार और व्यापार खर्च करना बंद करो।
और परिवार को समय दो। क्योंकि अंत वो ही आपको सहारा और कंधा देंगे।
इन अती-जाती सरकारों का क्या है- सपने बड़े-बड़े और काम होते ही-
नजर आना बंद हो जाते है। ऐसा ही कांड एक मेरे साथ हुआ। वो गाना है-ना,
“देखा है तुझको जब से हाय – मैं तो हिल गया – लगता है मेरे सीने से “दिल ” निकल गया;”
मेरा निकला था-पर वो क्या है-ना बिना दिल के जीया नहीं जाता –
और बिना जीये मरा नहीं जाता- चाहत की बात तो फिर कोसों दूर रही- पर वो कहते है ना-
जो धड़के ही ना -वो दिल कहाँ और जो तोड़े ना वो ईश्क कहाँ ।
और हमने एकतरका आशिक की तरह- उस एक-दो पल के मेहमान पर,
अपने माँ-बाप और बाकियों को इग्नोर कर इतना ध्यान -समय और जान दे दिया कि लगा वही सब है-
वही रब है। उस एक पल के सावन ने-सच में मेरी आंखों का सावन-भादो बन गया|
और उस पल दो पल के मेहमान को उतना ही फर्क पड़ा- जितना मौसम को अपना रूप बदलने में वक्ता।
पर मेरा जो आसमां स्थाई था- स्थाई है – वो मुझे देख – परेशान हुआ।
मेरे रोने पर रोया- हँसने पर हंसा- मेरा परिवार मेरे संग मेरा बगकर रहा (जिसे मैंने इग्नोर कर दिया था)।
पर अच्छा ही हुआ कि वो शख्स आया और चला गया और जाते-जाते परिवारा
इस शब्द से रू-बारू करवा गया। मेरा परिवार
श्तेदार। जो मेरा आसमान है रंग बदलते है पर स्थाई है।
मुसीबत के समय के साथी है – मेरे परिवार मेरे लिए जरूरी है।
ये मुझे कुछ पल के लिए मिले रिश्ते के समझाया कि ऐसे रिश्ते तो आते-जाते रहते हैं।
पर वो जो आते-जाते नहीं और जो जाने तक जाते नहीं जाते। वो हर बार आते-जाते नही ।
इसलिए हमें उनके साथ रहना चाहिए- उनको समझना चाहिए।
इनको वक्त देना चाहिए। क्योंकि अंत में अंत तक वहीं- है,
जो तुम्हारे बारे ना सिर्फ सोचेंगो पर रोयेगों भी और आपके खुशी को बढ़ायेगो भी ।
चलो मेरी कहानी जानतें हैं:- 👇
वो मिला मुझे, मेरे स्कूल में, दोस्ती हुई और फिर मोहब्ब्त।
काफी खुश था मैं- पूरे-पूरे दिन उससे बाते और
उससे बातें नहीं तो उसकी बाते और मेरा कोई काम ही नहीं था।
क्योंकि मुझे वो बिल्कुल मेरा अपना- सबसे करीबी लग रहा था।
रात भर उससे बाते करता खाना भी इग्नोर कर देता।
और उससे मिलने के लिए मैं हर काम भूल जाता।
मेरी माँ मेरा ख्याल कर के दुखी होने लगी- पिता परेशान और बहनें उदास।
पर मेरी नजर इनकी भावों पर नही गया। क्योंकि मैं मेरे बस में थोड़ी था।
मैं तो कोई और था- किसी और का ख्याल-किसी और की चाहता।
मुझे पता नहीं चला कैसे मैं मेरे अपनों से दूर हो गया और बहुत दूर उनको परेशान करके,
उसके संग हँसता रहा। मेरी माँ मुझे जबरदस्ती खाना खिलाती रहती- देर तक जगा रहता तो- वो परेशान रहती।
बहने मेरी बलाएं उतारती और दोस्त कहते भाई तु बदल गया है। पर मैं-मैं कहां था?
मैं सबको इग्नोर करता रहा- जब तक उसने मुझे इग्नोर करना नहीं शुरू किया।
और फिर एक दिन पता चला कि हमारे बिच कुछ नहीं रहा। उस दिन मैं रो रहा था( नकली मुस्कान के साथ)
और मेरा सर माँ के गोद में था। और मेरा सहारा मेरे भाई( मेरे दोस्त) बने थे ।
उस दिन पता चल ये सावन कुछ पल के मेहमान है- इसे स्थाई नहीं समझना चाहिए और
ना ही अपने स्थाई को आने- जाने वाले के लिए निराश करना चाहिए।
क्योंकि बाकि तो तुम्हारे रस या अपने रस के लिए आते हैं।
क्योंकि पेड़ में फल तो कुछ पल के लिए आते हैं पर चढ़े अंत तक साथ रहती है
उन से बिछड़ कर पेड़ों का अस्तित्व नहीं और बिना पेड़ के जंगल नियर बिना जंगल के वातावरण नहीं सो बी केयरफुल।
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !