बर्बादी अक्सर बर्बादी नहीं होती
3 महीने की कठोर मेहनत और परिश्रम से, हल्कू का खेत गेहूं के फसलों से लहलहा रहा था।
गांव में चारों तरफ सब की फसल पक चुकी थी किसी की सरसों की खलीहान पिले रंग की छटा बढ़ रहे थे
तो बाकियों की गेंहू सुनहरे रंग बिखरे हुए थे। सबकी आंखों में चमक थी। किसानों की बीज फसल देने वाले थे।
गांव की मिट्टी बीज को भोजन बनाने वाली थी।👇
कि अचानक आई बारिश ने लगातार बरसने के कारण गांव की नदियों का स्तर बढ़ा दिया और सारा पानी खेतों में आ गया।
हल्कू और बाकी गांव क्या गनी क्या हम गरीब सब किसान अपने माथे की पसीने से खेतों को सींचा था
कि बाढ़ ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। और खेत जो बीज को भूख की दवा बनाने वाले थे।
वह बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गए। किसान परेशान थे उनकी मेहनत माटी में मिल गई थी।
उनके पैसे पानी में डूब गए थे।और भोज्य पदार्थों की कीमतें आसमान छूने को तैयार थीं।
चारों तरफ दुख का माहौल था। चारों तरफ निराशा थीं। और मुश्किलें आगे और बढ़ने वाली थी।
लोग हल्कू की तरह रो रहे थे। और भगवान को कोस रहे थे। भगवान की उपस्थिति पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे थे।
बोल रहे थे कि तुझे यह हमारी मेहनत नहीं दिखती। हमने कितने महीनों की खून पसीने से बीज को फसल बनाया था।
मगर तूने एक झटके में ही सब पर पानी फेर दिया। रहम नाम की चीज है कि नहीं तुझमें। लोग ऐसे ही बिलखते-कोसते रहे।
भोज्य पदार्थों की कीमतें आसमान छूती रही। और अंत में 2-4 किसानों ने फांसी भी लगा ली क्योंकि दर्द बहुत था।
खाने को कुछ नहीं था। भगवान पर से भरोसा खत्म हो गया था। बाढ़ का पानी सूखने-सूखते 9 सप्ताह बीत चुके थे।
जो फसल थे सर के मिट्टी में मिल चुके थे।👇
लोग फसल छोड़ मछली पकड़-पकड़ के खा रहे थे। जब पानी पूरी तरह से सूख गए थे।
और लोग अपने खेतों की ओर लौट रहे थे। तब वैज्ञानिकों ने उस मिट्टी के नमूने एकत्रित किए और कुछ जांच करने के लिए ले गए।👇
और अखबार पत्रिका में प्रकाशित हुआ कि” सॉइल ह्यूमस हैज बीन इंप्रूव्ड ॲन आ मैक्सिमम लेवल,
ईट हैज बीन पॉसिबल आफ्टर ए लाॅंग पिरियड ऑफ टाइम्स,
नाव दा सॉइल प्राॅडिक्टीविटी हैज-बीन इम्प्रूवड।’ऐंड ईट्स रियली बेनिफियल फाॅर दा फार्मर्स एंड साॅइल,
ईट्स गोईंग टू गीव गेन फाॅर लाॅंग टर्म।’ एंड इट हैज और ओनली बीन बिकॉज आफ फ्लड व्हिच राॅटन दा
क्राॅपस एंड मिक्सड ईट इन साॅइल एंड बाय दा वाॅटर इट मिक्सड इन इट डिपली एंड फ्लड अलसो हेल्प्स दा
साॅइल्स टू वैनिश दा केमिकल्स।एंड हैल्प दा साॅइल्स टू गेट देयर प्रोडक्टिविटी अगेन।
इट्स अ रेयली पाॅजीटिव न्यूज फार ऑल ऑफ अस।”
स्त्रोत:-‘ साॅइल फॉरमेशन एंड डेवलपमेंट सेंटर ऑफ इंडिया।’
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( बर्बादी अक्सर बर्बादी नहीं होती)
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