पर्स पीछे ना छूट जाएं
कही गए थे घूमने | बस से लौटते समय हुआ यूँ की वो गाना है न की
“ ज़िंदगी एक सफर है सुहाना , यहाँ कल क्या होगा, किसने जाना ? “
इसी का एक सबूत मेरे आँखों के सामने घट गया |
मेरा मतलब ये की एक महिला जो स्कूटी चला रही थी हमारे बस द्वारा हॉर्न देने पर वह बीच रोड
जहाँ जगह थोड़ी खाली थी वह चली गई | लेकिन तभी एक कार से टक्कर हो गई |
कार से टक्कर हुई वो महिला स्कूटी से नीचे – सिर फट गया – हेलमेट कही था – स्कूटी कही – और वो बेहोश हो गई |
बस के सभी लोग किसी ने पानी उसके चेहरे पर मारा तो उस महिला ने दो बार सांस लिया और शायद फिर बेहोश |
मैं छोटा हूँ – सफर पर था , जल्दी के चक्कर में जो बड़े लोग मेरे साथ थे वो निचे उतर गए
– मुझे ये ज़िम्मेदारी देते हुए की पीछे पर्स का धयान रखना |
उस औरत का भी पर्स था – वो भी सुरक्षित था
पर वो औरत सुरक्षित नहीं थी |
*****************
पर्स पीछे ना छूट जाएं
*****************
^^^^और कहानिया^^^^^
********>मेरी किताबे<**********
1.हाथ जोड़ ली – और शक्ति छोड दी : समझ ज़रूरी है! (Hindi Edition) Kindle Edition
2.अंधेरों का उजियाला (Hindi Edition) Kindle Edition
3.जिंदगी – पाप और कर्म (Hindi Edition) Kindle Edition