पाठ-2
अतीत के पन्नों का अध्यापक
“एक जन्म तो तुम्हें थारी मां ने दिया है, और जिस दिन पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी लग गई ना,
दूसरा जन्म तब होगा थम लोगों की । वर्ना काहे की जिंदगी ! इसलिए पढ़ी जावा- पढ़ी जावा,
जो-सी भी किताब दिख गई उठाई और पढ़ने लगे। यह होए है-मेहनत।
यह जो तुम्हारी टीचर्स नहीं पढ़ाते-या तुम नहीं पढ़ते इसमें उनकी कोई नुकसान ना है।
उनकी तो लाइफ सेट है, लाख-दो-लाख महिना ले रही है यह।
तुम लोग ना पढ़े तो इनका कुछ नहीं जा रहा है, जाएगा तुम लोगों का।
इसलिए किसी भी अध्यापक का पीछा मत छोड़ो, उनसे पूछ-पूछ कर परेशान कर दो।
जी ये क्या होय है, जी वह क्या होए है ? और कुछ बन के दिखा दो। तब देखना क्या प्यारी जिंदगी होती है।
यह वाक्य उस शख्स के है, जो खुद किस्मत इसे कई हेरा फेरी के बाद;
हमें हमारे सामाजिक विज्ञान के अध्यापक के रूप में मिले।
दसवीं के तीन महीनों में ही समाजिक विज्ञान के अध्यापक हमारे स्कूल में आए और गए।
दसवीं कक्षा के चौथे-पांचवे महीने में एस.एस.टी. के पिरियड में एक शख्स आया।
पहली नजर से देखा तो हम सारे डर गए। क्योंकि शक्ल से गुस्सैल दिखते थे।
उनकी बोली भी कड़क थी- कड़क। मेल अध्यापक वैसे तो बहुत देखे थे।
पर ऐसा पहली बार। पर वो कहते हैं ना,
“कि नेवर जज अ बुक बाय इट्स कवर“
यह लाइन शायद इन्हीं जैसे लोगों के लिए बनी है।
पहले-पहले दिन उनकी भाषा समझने में परेशानी हुई थी।
और फर्स्ट इंप्रेशन भी यह आया था कि मरने वाला अध्यापक है।
पर यह 3 सालों का अनुभव है, सभी पीरियड्स में से हमें उन्हीं के पीरियड की इंतजार रहती है, बेसब्री से।
उनके सामने ना हंसों तो ना हंसाते हैं, हंसों तो डराते हैं। उनके सामने कैसे व्यवहार करे पता नहीं चलता ।
पर होंठ पूरे कक्षा में मुस्कुराता रहता है। क्योंकि ये है-ही ऐसे शख्स ।
किसी से ना बैर ना-जात-पात। सभी के सामने नजरों से देखने वाले।
रोहतक हरियाणा के एक छोटे से गांव से दो-तीन घंटे की सफर से सिर्फ हम लोगों के लिए आते हैं।
सभी अध्यापकों से इनकी बनती है, और जिनसे नहीं बनती वह भी इनसे बना के रखता है।
क्यों? क्योंकि यह है ही ऐसे। ज्ञान इतना है कि सब की क्लास ले-ले।
मेहनती इतनी की जाड़ा लगे से-जाड़े में दर्द होए से,👇
इतना कहने के बाद भी लगातार 2-4 घटे तक खुशी और डर के माहौल में पढ़ते हैं।
जहां यस सर-यस सर बोलने पर मार देते हैं, वही ना हंसने पर मजाक बनाते है।
हर जगह भाषण देना इनका काम है- अब्राहिम लिंकन शायद इनके अभिमान है।
जब भी बात होती यह इनका जिक्रा जरूर करते। कि कैसे एक गरीब घर का किसान का बेटा अमेरिका का सोलहवां राष्ट्रपति बना।
बोले भी क्यों ना- लिंकन थे ही ऐसे, हार-हार-हार और फिर जीत की मिसाल। इतिहास पढ़ाना उनका फर्ज है।
मगर अंग्रेजी में भी इनके पास इक्का है। बात-बात पर ग्रामर शुरू कर देते हैं। और बताते है कि अंग्रेजी कितनी जरूरी है आज के युग के लिए भी।
ये सिर्फ फर्स्ट बैंच पर ध्यान नहीं देते, बल्कि अपने बातों में, क्लास के सबसे आखिर में रखे बैंच पर बैठे बच्चे को भी हंसा देते हैं।
खुद नशा करते हैं मगर हमें नशा के लिए मना करते हैं। लाड-प्यार-दुलार के साथ में थप्पड़ का डर सदा बनाए रखते हैं।
शायद इसलिए यह हमें बहुत पसंद है। अध्यापक हिस्ट्री के है पर अधिकतर विषयों पर भी अपना अधिकार रखते हैं।
कमियां भी है जैसे कि प्रिंसिपल को देखकर थोड़ा नरम पड़ जाना। अपने सीनियर्स को इंप्रेस करने की एक जानदार कोशिश करना।
जो साफ-साफ दिखाता है । और यह गुण साधारणता से इंसानों में मिल जाता है।अपने सीनियर्स से डर या कह सकते हैं रिस्पेक्ट।
पर यह खूबी इनमें ज्यादा है। जो इनके जैसे व्यक्तित्व में अच्छा नहीं लगता। रिस्पेक्ट देना एक अलग बात है और यह गुण- गुणवणों का है।
पर ये जिस तरीके से करते हैं वो ओवर ही लगता है। जो कोई इम्पेक्ट नहीं छोड़ता। पर सर तो अपने सर है।
कमियां लाखों है, मेरे अध्यापक में। मगर हम में कोई कमी ना रहे इसके लिए वह अपने मेहनत में कोई कमी नहीं रखते।
शायद इसलिए यह स्कूल के सबसे चहेते अध्यापक का अधिकार रखते हैं।
हिस्ट्री के अध्यापक-कपड़े जैसी मर्जी बाल आने झड़ चुके हैं, दांतों में दर्द होता है और लेट फिफ्टी में है तो जाड़े में भी दर्द होता है।
मगर इनके बावजूद अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखते। बल्कि और पढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं।
यह बड़े इंपल्सिव है। कक्षा ना हो तो खाली कक्षा ढूंढ गेट बंद कर सो जाना, खाना मंगा छत की सीढ़ियों पर जाकर खाना।
बड़ा विचित्र चित्र है हमारे हिस्ट्री के मिस्ट्री से भरे हुए अध्यापक का। जब पहली बार उन्होंने स्कूल में भाषण दिया था
उनके कुछ शब्द यह थे- “हरियाणा,( गुरुग्राम ) के सुखराली गांव के इस विद्यालय के प्रांगण से आप सब को नमस्कार।🙏🙏🙏🙏
एक बात और, इनके द्वारा सुनाए गय चरित्र लिंकन- बोस- खुदीराम सब जिंदा रहेंगे मेरी यादों में।
और इनका सरकारी नौकरी को लेकर रुझान भी हमेशा फ्यूचर में मेरे होठों पर मुस्कान लाता रहेगा।
हरियाणा के उसी विद्यालय से उसी अध्यापक के एक शिष्य यानीकि मेरा आप सभी को प्रणाम।
पार्ट-3 के साथ जल्द मिलते हैं।तब-तक पढ़ी जावा- पढ़ी जावा!….
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अतीत के पन्नों का अध्यापक
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !
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