दोस्ती का मतलब यह नही होता:-
एक जंगल मे एक हाथी और एक शेर के बीच दोस्ती थी।
दोस्ती छोटी सी उम्र मे ही हो गई थी।
इसलिए संग साथ-साथ चलते।खाते तो वो अपना-अपना खाना ही थे। मगर सोना-उठना-बैठना सब साथ मे होता।
एक साथ नहाते, हाथी अपनी सुंड मे पानी भरकर उसमे उडेलते ।
और बिना एक-दूसरे के वो ज्यदा दिनो तक नही रह सकते थे।
एक दिन ये यूँ ही गन्ने के खेत मे पहुँच गया।हाथी तो गन्ना देखते ही गन्ने पर ऐसे टूटा जैसे एक लवर दूसरे लवर को देखकर,
और शेर को ऐसे ही भूल गया जैसे, एक लवर अपनी लवर को देखकर; अपने दोस्त को। तो हाथी गन्ना उखाड-उखाड के चूसने लगा।
शेर ने पूछा,” तुम यह कैसे खा लेते हो? यह लकड़ी हरी-पिली मोटी लकडिया कैसी लगती है?”
तो इस पर हाथी बोलता है कि यह तुम्हरी जंगली जानवरो के मीट से कही ज्यादा स्वादिष्ट है!
इतना स्वादिष्ट की अगर इक बार चख लिया तो फिर सबकुछ भूल जाओगो।
तो शेर ने बोला “अच्छा ऐसा है तो हमे भी चखाओ!” तो हाथी एक गन्ने का रस निकालकर उसे पिलाता है।
शेर पि तो लेता है, मगर मीट का आदी पेट , वो शाकाहार कहाँ पचा-पाती।
शेर के जिंदगी के साथ खेल गई वो मीठा रस। और शेर वही कुछ दिनो मे पेट की अपच से मर गया।
अपना क्षेत्र खुद चुने! |
इसलिए कहते है दोस्त चाहे कितना भी प्यारा क्यू ना हो, वो मत लो, अगर तुममे क्षमता किसी और चीज को करने की है-तो । वर्ना मीठा रस भी जहर बन जायेगा। फिर सारी उम्र तडपोगो!…वरूण
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दोस्ती का मतलब यह नही होता:-
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !