दौड़ दोनों की – पर सबसे ज्यादा दुखी पहले वाला ही क्यों?
🤔🤔🤔
दो लोग हैं। दोनों दौड़ने को तैयार है। पर फर्क बहुत है दोनों में, पहले वाला है
उसका कुछ भी तय नहीं है,
कि कितने दूर तक दौड़ना है? कितनी वक्त लग सकती है वहां पहुंचने में; वहां पहुंच के क्या मिलेगा ?
कुछ भी तय नहीं है। लेकिन सिर्फ उसे दौड़ना है- दौड़ना है- दौड़ना है। उसका कोई भी गोल नहीं है।
बस उसे सिर्फ दौड़ना है क्योंकि उसे पता चला है कि वहां पहुंच के कुछ मिलेगा।
दूसरा है जिसका यह तय नहीं है कि उसको कितनी दूर तक जाना है ? वहां पहुंचकर क्या मिलेगा ? और क्यों दौड़ना है उसको यह पता है।
चलो देखते हैं, उन दोनों के साथ क्या हुआ?🤔🤔👇
1.👉 रमेश 🙂!
2.👉रोहन 🙂!
1.👉 रमेश; एक-दो-तीन और फायर होते हीं भागना शुरू करता है।
2👉 रोहन भी; एक-दो-तीन और फायर होते हीं भागना शुरू करता है।
1.👉 रमेश:-👇
फायरिंग सुनते ही बहुत उमंग के साथ भागता है और सबसे आगो हो जाता है। वह शारीरिक तौर पर ताकतवर था और स्वस्थ भी,
तो वह अपना दम दिखाता है। उसके राहों में पर्वत है सुंदर वातावरण हैं।
और भी कई सारी सुंदर-सुंदर चीजें हैं। लेकिन उसका ध्यान इन सब चीजों पर नहीं जा रहा है
क्योंकि वह सोचा कि यह सब उसको डिस्ट्रिक्ट कर सकती हैं। और वह भागे जा रहा है- भागे जा रहा है-भागे जा रहा है।
और इससे वह सबसे आगे भी है। ऐसी करते बहुत देर हो चुका है। अब वह थकने लगा था, निशान होने लगा था,
कि वह दौड़ते जा रहा है- दौड़ते जा रहा है। और कुछ भी नहीं मिल रहा है। और जो मिल रहा है वह भी तो सुख नहीं दे रहा है।
यह निराश होता जा रहा है। और इसके जो सपोर्टर थे। जो इसको सपोर्ट करने आए थे। वह भी थक चुके हैं। इसको सपोर्ट करते-करते।
वह सारे भी उदास हो चुके हैं। इसको सब बोल रहे हैं कि रेश छोड़ दो अगर कुछ नहीं मिल रहा है तो। मगर यह दौड़े जा रहा है-दौड़े जा दौड़ते जा रहा है।
लेकिन कभी-भी इसके काफी सारे सपोर्टेड इस के सपोर्ट में है। चूकी उन्हीं के कहने पर ही इसने दौड़ना शुरू किया था। इसलिए यह दौड़े जा रहा है।
इसकी फैमिली परेशान है; क्योंकि फैमिली को समय नहीं दे पा रहा है। इसको भी पता है कि यह फैमिली को समय नहीं दे पा रहा है।
पर क्या करें उसको लग रहा है कि जो चीज मिल जाएंगे, उसके बाद बाद रुक जायेंगे। इसी वजह से वह दौड़े जा रहा है-दौड़े जा रहा है ।
2.👉 रोहन:-👇
फायरिंग सुनते ही। यह भी दौड़ना शुरू करता है। लेकिन यह ज्यादा तेज नहीं दौड़ पाता है।
क्योंकि इसको पता होता है कि कितना तेज दौड़ना है? इसका वतावरन बिल्कुल विपरीत होता है रमेश से।
इसकी शुरुआत में ही बहुत ही कठिनाई आ जाती है। कोई सपोर्ट नहीं होता है। इसके राहे बहुत खतरनाक होती है। डरावनी!
जितना सोचा था उससे ज्यादा। पर यह रुकता नहीं है- हारता नहीं है।
क्योंकि इसको पता है की कितनी दूरी तय करनी है। वहां पहुंचकर क्या मिलेगा।
इसलिए उसको याद करके चलता जा रहा है। चलता जा रहा है। इसकी फैमिली भी परेशान हैं
क्योंकि यह भी अपने परिवार का साथ नहीं दे पा रहा है। इसको भी पता है। पर इसके चेहरे पर संतोष है,
क्योंकि इसको पता है कि यह कितने देर तक चलेगा और वहां पहुंच के क्या मिलेगा।
इसलिए यह दौड़े जा रहा है। यह भी काफी समय से दौड़े जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा तक जाता है।
तो थोड़ी देर रुक जाता है। संभल जाता है। और थोड़ी सांस ले लेता है। लेकिन यह भी अभी-भी दौड़े जा रहे हैं।
1.👉 रमेश:-👇
काफी दौड़ने के बाद रमेश भी अब थक जाता है। बिल्कुल बहुत हताश हो जाता है-निराश हो जाता है।
वह हर मोड़ लेता जो उसके रास्ते में आती है। हर काट लेता है। लेकिन उसको जो भी मिलता है-
उतना नहीं मिलता जितने में उसकी देश दौड़ सके। इसलिए वह भी हताश हो जाता है।
काफी समय बीत चुका होता है। तो वह भी सोचता है छोड़ देने का। मगर वह छोड़ नहीं पाता।
उसको भागना पड़ता है, क्योंकि अब उसके साथ भागने वाले दो-चार और आ गए थे। इसकी जिम्मेदारी बढ़ गई थी।
क्योंकि उन भागने वालों के लिए भोजन इसी को बनना था। इसलिए यह रुक नहीं सकता था।
क्योंकि भागने के लिए जो भी पोषक तत्व जरूरी होते हैं वह सिर्फ यही कामा सकता था।
इसलिए यह रुकता नहीं है। रुकने का मन करता है। लेकिन इसको भागना पड़ता है।
और शायद यह तब तक भागता रहेगा जब तक वह भागने वाले तैयार ना हो जाए।
या जब तक यह अंतिम सांस ना ले-ले।
2.👉 रोहन:-👇
यह भी काफी दौड़ता है। बहुत सारी चीजों से सामना करता है। काफी लंबा समय बीत चुका होता है।
लेकिन अब एक ऐसा वक्त आता है ,जहां पर जाकर यह रुक जाता है।
खुश हो जाता है। काफी मुश्किलों के बाद इसको वह मिल जाता है जो इसको चाहिए था।
क्योंकि इसको पता था, कि इसको क्या चाहिए था। और वह कहां पर मिलेगा?
इसने हर वो कट नहीं लिया जो लोगों ने कहा था। बल्कि इसने वह हर मोड़ लिया जो इसके स्टैंड तक आने के लिए चाहिए था।
1.👉 रमेश:- 🙂👉 😔।
2.👉 रोहन:- 🙂👉😔👉🙂👉❣️।
कहानी से थोड़ी अलग बात करूंगा पर सीख बिल्कुल कहानी वाली। मैं कोरा चलाता हूं
और कोर पर मेरा एक पेज है उस पर एक क्वेश्चन आया था कि, हम आलसी क्यों हो जाते हैं?
या फिर हम अपने काम को क्यों नहीं करते? इसके बड़ सिंपल आंसर है
कि हम आलसी इसलिए हो जाते हैं क्योंकि:- हमारे पास कोई मकसद नहीं होता
जो हमें बताएं कि हमारा काम करना कितना जरूरी है। क्योंकि बिना एक किसी मकसद के जिससे लगे कि हम दुनिया चेंज कर सकते हैं
या फिर वह हमारी जिंदगी बदल सकती है। हम काम नहीं करते क्योंकि हमें लगता है कि वो काम कोई और कर देगा।
जैसे आपके घर में बहुत सारे सदस्य हैं तो आप अपना बर्तन नहीं धोते , क्योंकि आपको लगता है कि कोई और धो देगा
और धोते भी है। लेकिन जब आप अकेले हो- कही दूर गए हो ।और कोई भी आपके साथ ना हो-तब क्या आप किसी का वेट करते हो।
खाना खुद ही बनाते हो और खुद ही खाना-खाके उसे धो- देते हो- ना !
इसी प्रकार जिंदगी है यार हम इंसानों की फितरत है हम किसी काम को तब-तक नहीं करते।
जब तक हमें यह ना मालूम हो कि उसे हमें ही करना होगा और हम ही केवल कर सकते हैं
और वो हमारे लिए जरूरी है। तब-तक भले ही हमारे पास कितनी भी सुविधाएं हों हम काम नहीं करेंगे और ना-ही हमारा काम में मन ही लगेगा।
इसलिए जिंदगी में एक गोल होना जरूरी होता है। क्योंकि वो हमें हमेशा काम पर लगाया रखता है।
और हमें इतना वक्त ही नहीं देता कि हम बुरा सोच सके।
हमेशा याद रहे:-
पेड़ उस शाख को गिरा देता है- जो उसे लगता हैं कि अब फल नहीं दे सकता।और उस डाल को सहते रहता है- चाहे कितना ही भारी क्यों ना हो- जिस पे फल लगता है।
यही हमारे साथ होता है:-
हमें बिना किसी मकसद के हर काम में- कठिनाई दिखती है-पर एक मकसद के साथ हर कठिनाई एक नई सिख लगती है।
^^^^^^^> Meri Kitabe < ^^^^^^^
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(दुखी पहले वाला ही क्यों?)
(दुखी पहले वाला ही क्यों?)
(दुखी पहले वाला ही क्यों?)
कहानियां जो साथ निभाए –
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !