दिवाली
एक लडका था। तकरीबन होगा 14-15 साल का। उसके पिताजी बहुत बड़े वकील थे ।
और वह जिस इलके में रहता था ।उस इलाके में 9-10 घर छोडकर बाकी सारे घर छोटे-छोटे,झुग्गी-झोपड़ी के बने थे।
मगर यह लड़का कभी खुश नही रहता ; जैसे वो जी रहा था ।कभी उसे सब्जी में तड़ी की कमी महसूस होती।
तो कभी उसको त्योहारों पर मिले कपड़ो पर नाराजगी होती। वह हर तारिके से यह मानता था
की उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो की हांसी का करन बनता।
वह वही अपने छत्त से खड़े-खड़े वक़्त गुज़रने का शौक़ीन था।
यह छत्त से खड़े-खड़े एक ऐसे लड़के को देखता जो हमेशा मुस्कराता रहता।
उसे देखकर यह सोचता है कि उसके पास वो सबकुछ है जिंदगी मे जो उसे चाहिए।
धीरे धीरे इन दोंनो मे दोस्ती हो गई ।और यह हमेश उसे मस्कुराते ही पाता। और उसे लगता है कि उसके पास सब कुछ है। यह दिवाली का माहिना था ।और उनके दोस्ती का भी लगभाग एक साल पुरा होने वाला था। यह बोलता है की कल दीवाली है मेरे घर आ-जइयो। अगले दिन दीवाली के यह लडका उस लड़के के घर जाता है ।वह पहली बार किसी इतने बड़े घर में प्रवेश करता हैं ।बड़ा सा-घर लाइट से साजी-धाजी। व। उन लाइटो को दूर से ही देखकर खूब मस्कुराया करता था। आज करीब आके शांत पर गया है। यह।मुस्करा नही रहा था।जिस कारण उस लड़के ने पूछा क्या हुआ आज के दिन तेरी मुस्कान गायब है। तो वह लड़का बोलता है:-“नही यार कुछ नही, वो ऐसे ही।”
फिर वो पटाखे-वटाखे फोड़-ओड के खाने की मेज पर बैठे। मेज पर उसने कई सारी मिठाइयाँ देखी उस ने पहली बार देखे थे उतने मिठाई ।वह लज्जा के करण खा नहीं रहा होता है। उसका दोस्त पूछता है तू मेरे घर में कुछ कमी है क्या? या तुम्हें यह मिठाइयाँ पसंद नहीं? बोलो! बोलो ना क्या हुआ ! तुम मुस्करा क्यो नही रहे!वह बोलता है। यहाँ मसला मैं क्यों नहीं खा रहा हूं का नहीं है !मसाला है- क्या खाऊं का है। मैं पहली बार इतने सारे मिठाई देख रहा हूँ। वह भावनाओं में बोल पडता है मैं तो तुम्हारे घर मे जो काम करती है ना उनका बेटा हूँ।मगर कभी हिम्मत ना हुई यह बताने की! की कही हमारी दोस्ती ना टूट जाय।
वह भावनात्मक होकर बोलने लगता है:-मेरे मम्मी-पापा दोनो मिलकर इतना नही कमा पाते जितना मै आज यहाँ देख रहा हूँ।इसलिए मुस्कान गायब है।और वह रोने लगता है।तो यह लडका बड़े प्रेम के साथ उस लड़के को चुप कराता है। यह लड़का उस लड़के को बोलता है तेरे चेहरे पर मुस्कान अच्छी लगती है आँसू नही।धीरे-धीरे यह लड़का शांत हो जाता है। तो कुछ देर बाद यह लड़का उस लड़के को उसके घर छोड़ने के लिए ले जाता है।
यह लडका, उस लड़के से बोलता है” एक बात पूछू तु बूरा तो नहीं मानेगा ना।” यह बोलाता है ” नहीं! पूछ !वाह पुछता है “तु इतना गरीब है मगर फिर भी मस्कुराते रहता है। वह कैसे?
और मैं क्यों नहीं ? तो यह बोलता है। कपडे-घर-मीठाई के लिए पैसे चाहिए होते है।
मुस्कुराने या हंसने के लिए नहीं !😍
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !