जिंदा और जिंदगी
(एक-संवाद)
पात्र:-👇
जिंदा:- 👉 कमलेश (😔)
जिंदगी:-👉 गुरु-जी(😌)
कमलेश भागते-भागते गुरुजी के आश्रम पहुंचा था। इस उम्मीद में कि आज गुरु जी से मुलाकात हो जाए। इसलिए वह सुबह-सुबह ही भूखे पेट लेकर निकल गया था। 40-50 लोगों के बाद उसका नंबर आता है। खुश होता है वह की, गुरु जी से वह मिला तो। उसे लगा सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
कमलेश :- गुरु-जी नमस्ते !
गुरूजी :- हां। बताइए ! आपका क्या नाम है?
कमलेश :- जी गुरु जी-कमलेश।
गुरु जी:- हां। कमलेश बतलाइए, क्या तकलीफ़ है?
कमलेश:-जी गुरु जी। मुश्किल से काफी सालों की मेहनत के पढ़ाई के बाद 100-200 चक्कर के बाद, एक अच्छी नौकरी मिली थी। अब वह भी छूटने वाली है। सोचा था, शादी कर लूंगा तो थोड़ी परेशानी कम हो जाएगी और घर को संभालने वाली भी आ जायेगी। पर वह भी झगड़ालू निकली। बच्चे भी काफी बदतमीज है। महंगाई बढ़ते जा रही है और मेरी कमाई अभी भी उतनी ही है, जितनी पहले थी। परेशानी पर परेशानी बढ़ती जा रही है। कभी तबीयत खराब हो जाती है तो कभी कुछ और कांड। अब मैं परेशान हो गया हूं। मैं इन सभी कांडों से। मैं पूछना चाहता था कि यह परेशानियां कब खत्म होगी। मेरी जिंदगी से।
गुरु जी:- आह भरते हैं और फिर मुस्कुराते हैं।
कमलेश:- क्या गुरू जी! मैं परेशान हो रहा हूं और आप मुस्कुरा रहे हो? कैसे गुरू जी हो आप? मैं आपके पास – अपनी समस्याओं के समाधान ढूंढने आया था। और आप-आप तो मुस्कुरा रहे हो? मेरी परेशानियां सुन-के।
गुरु जी:- फिर कमलेश की तरफ देखते हैं। और इस बार और लंबी और गहरी मुस्कान भरते हैं।
कमलेश:- परेशान हो गया था। वो जाने ही वाला था। कि पिछे से गुरु जी की एक पतली -सी आवाज आई।
गुरु जी:- कमलेश जी। क्या ये सच में परेशानी है? क्या आप सच में परेशानी है?
कमलेश:- (गुस्से-से) यह क्या मजाक है- गुरु जी! मैं यहां परेशानी का समाधान के लिए ही आया हूं। मैं पागल नहीं हूं।
गुरु जी:- वही तो मैं पूछ रहा हूं। क्या यह सच में परेशानी है? या जिंदगी के किस्से?
कमलेश:- क्या? क्या कहा । आपने गुरु जी!
गुरु जी:- वही तो पूछ रहा हूं:- क्या ये सच में परेशानी है? क्या तुम सच में परेशान हो? क्या तुम्हें इनसे छुटकारा चाहिए?
कमलेश:- नहीं! गुरु जी-नही। बिल्कुल भी नहीं। और अभी तो बिल्कुल भी नहीं, अभी मुझे बच्चों को बड़ा करना बाकी है। मेरे माता-पिता के फ़र्ज़ उठाना बाकी है।धन्यवाद गुरु जी! धन्यवाद! आपने मेरी आंखें खोल दी।
गुरु जी:- इस बार और बड़ी गहराई से मुस्कुराते हैं?
कमलेश:- गुरु जी बहुत-बहुत शुक्रिया।पर इस बार इतनी बड़ मुस्कान क्यों?
गुरु जी:- क्योंकि मेरे आश्रम में आने का वक्त है। पर जाने का कोई वक्त नहीं है। इसीलिए मुस्कुराया!
कमलेश समझ नहीं पाता। बस उसे अपने समस्याओं से छूटकारा मिल गया था। उसे और क्या चाहिए था!वह चला जाता है।
गुरु जी:- फिर 👉😌🙂🙂
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !