कुछ लिखता हूँ…..
मै वरूण, अक्सर मै जब-भी लिखने बैठता हूँ। तो फोन हाथ मे होता है और कुछ देखते-देखते लिखता रहता हूँ।
और सोचता हूँ कि आज कुछ कमाल लिखूगा।क्योकि फोन मे कुछ देखते-देखते कुछ आइडिया आ-जायेगा
और मनोरंजन के साथ लिखाई भी हो जायेगा।मै अधिकतर समय या तो गाना बजा लेता हूँ या यूटूब पर कोई लैंदी विडियो लगा देता हूँ।
ताकि हटाना ना पड़े और मै अच्छे से लिख पाऊँ।मगर कभी-भी वो लाजवाब वाला लेख नही लिख पाता हूँ।
हमें सोचता हूं कुछ कमाल लिखूंगा । मगर मेरा कान ध्यान फोन की और खिचता है।
और हाथ कॉपी पर चलती है, नजर फोन पर और कॉपी पर बराबर रहती है। और दिमाग चारो तारफ घुमती रहती है।
और में लगा रहता हूं। मुझे लगता है कि मै काम कर रहा हूँ। मेरी मम्मी-पापा, बहनो को लगता है कि काम के साथ-साथ फोन देख रहा हूं।
जिससे समय भी खत्म हो जाएगा और कुछ नया सिखेगा भी और कुछ नया लिखेंगा भी। मगर असल मे वो काम कभी पूर्णतया से नही हो पाता है।
कभी-कभी विडियो को पिछे करना होता है, तो कभी-कभी लिखने को रोकना पड़ता है।
तो वही कान हर छोटी-छोटी बात सुनता रहता है।मेरा दिमाग हाथ को भी चलाता है,
कुछ सोचता भी रहता हे, और कुछ सुनता भी रहता है।और जिससे कई पूरी तरह उस काम मे कभी डूब भी नही पाता है।
जिससे कुछ लिखने कि कोशिश मे, कुछ लिखकर ही रह जाता है।
कभी-भी पूर्णतया दिलचस्प नही लिखा पाता है।मगर मेरे यहाँ सब चलता है।
और उम्मीद भी बहुत बड़ा हमेशा रहता है।और हमेशा मै यही कहता हूँ आज कुछ अच्छा लिखूँगा।
मगर कुछ ही लिख पाता हूँ। अच्छा भी कभी-कभी लिख पाता हूँ।बेस्ट कभी नही।क्योकि मै हर जगह होता हूँ।
काॅपी पे भी, दिमाग मे भी, परिवार की बातो मे भी, यूटूब, और गानो मे भी
और साथ मे यह उम्मीद भी रहती है कि आज कुछ अच्छा लिखूँगा।एकदम जबरदस्त।
मगर होता वही है कुछ ही लिख पाता हूँ।मगर मेरे यहाँ यह चलता है।
आज कुछ शानदार लिखने के लिए, आज मे जीना पडता है। तब जाके ही कोई पिकासो बन पाता है। |
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कुछ लिखता हूँ…..
कुछ लिखता हूँ…..
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !