01-03-2022
इंसान
बात आज सुबह की है। यही कुछ 10-11 बज रहे थे। मैं किसी काम से साइबर कैफे पहुंचा था। मेरा काम तो नहीं हुआ, पर बड़े काम की बात पर मेरे कान ने ध्यान दिया। बात कोई नया नहीं था, पर बड़ा प्रभावशाली है। बात यह थी कि जब मैं साइबर कैसे पहुंचा था, मैं अकेला नहीं था । थे कुछ लोग, जिनमें से एक अपना आधार कार्ड बनवा रहा था। उसके कार्ड का प्रिंट आउट आया तो पता चला उसका नाम गलत है। तो वह आदमी बोला, “यार इन नगर निगम वालों को काम कौन देता है।
साले सही से एक नाम तक नहीं लिख पाते हैं।” तो उसने साइबर कैफे वाले भैया से,” मनोज अब इसे ठीक कहां से करवाऊ, किसी नए के पास जाऊं।” तो मनोज भैया ने बोला,” नए के पास क्यों जाओगे, जहां से बनवाया है वहां जाओ। वह काम की जिम्मेदारी भी लेगा और तुम उसे सुना भी दोगे। कोई नई जगह जाओगे तो वह तुम्हें सुनाएगा।” तो वह आदमी ठीक कह रहे हो,” मैं पुराने वाले के पास ही जाऊंगा, साले को एक-दो सुना कर भी आऊंगा।”
बात यहां खत्म हुई उनकी; और मैं डूब गया इन शब्दों की हेरा-फेरी में नए के पास जाओगे तो वह तुम्हें सुनाएगा- पुराने के पास – जाओगे तो तुम उसे सुनाओगे।
कैसे लोग हैं ना हम!😶🤔
सुनना नहीं चाहते– सुनाना चाहते हैं।
भूखे लोग नहीं देख सकते पर– खाना छोड़ते समय हम अन्न नहीं देखते हैं।
किसी को चोट ना लगे – मगर खरोचते हमीं हैं।
अजीब है ना हम भी।
महान बनाना चाहते हैं मगर जिम्मेदारी से भागते हैं।
हम सुनने और सुनाने का चक्कर में इंसान नहीं बन पा रहे हैं। बन रहे हैं तो बस आधुनिक के नाम पर आधे-अधूरे इंसान। जो सुनने और जिम्मेदारी दोनों से बचना चाहता है। मैं बस यही सोच रहा हूं, कहां से शुरू हुए थे और कहां पर आ गए हैं? हम इंसान भी कितने अजीब है ना।
पर इंसान है यह बात अभी तक सही है। कि हम अभी-भी इंसान हैं।
पर !
एक कहानी और।
मेरा बहुत करीबी दोस्त एक-दो बार पहले भी लिख चुका हूं, उस पर। वह कह रहा था कि वरुण मैं-ना उससे अब रिश्ता नहीं रखना चाहता। मैं चाहता हूं कि मेरा उसका रिश्ता खत्म हो जाए, कुछ इस तरह से मैं उससे अलग होना चाहता हूं-कि उसे लगे कि सारी गलती उसी की है।
यह कैसा प्यार है- जो सीधा-सीधा नहीं कह पा रहा है कि मेरा मन भर गया।
बजाय इसके की उसको दोषी साबित करना है। ताकि उसे सुना के और यह एहसास दिला सकें कि तुम्हारी ही गलती थी-जो हमारा रिश्ता टूट गया।
क्या सच में हमारा रिश्ता टूट गया है?💔
क्या सच में सिर्फ हमारी ही गलती है?🤔
खैर।
अच्छा ही है- भरोसा टूटता रहना चाहिए। इंसान है ना। गलतियों का पुतला होता है। मगर यह कैसा पुतला है-जो यह समझता है कि वह गलतियों से भरा है, पर अपनी गलती नहीं मानना चाहता। वह नहीं चाहता कि उस पर कोई दोष आय। ये कैसा इंसान हैं? क्या हम सच्च में इंसान ही है। या आधे इंसान हैं- आधुनिक युग के।…
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