किसी काम की शुरुआत के लिए- सबसे जरूरी चीज ? ..
श्याम काफी होशियार था। वो जानता था कि किसी चीज की शुरुआत के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है।
वह पढ़ाई में उत्तीर्ण था। उसके कक्षा के ही विद्यार्थी नहीं अपितु पूरा स्कूल उसको मानता था।
और वो अपने अध्यापकों का सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी था। उसके माता-पिता तो छोड़ो समाज को भी यकीन था कि श्याम
एक दिन बड़ा आदमी बनेगा और समाज बदलेगा। क्योंकि वो जो भी करता बड़े ध्यान और पूरी ज्ञान से करता।
वह तब – तक किसी चीज में हाथ नहीं लगाता, जब-तक उसके बारे में जान नहीं जाता।
जब उसकी पढ़ाई बंद हुई और शैक्षणिक जिंदगी के बाद व्यवसायिक जिंदगी शुरू हुई ।तो वह काम ढूंढना तो छोड़ो –
अप्लाई करने से भी डरता था । क्योंकि उसने सुन रखा था।
‘अनुभव जीवन की वह कुंजी है – जो आदमी को महान बनाती है।
‘ वह कुछ महान करने की इच्छा में बैठा था । इंतजार में था कि अनुभव मिलते ही शुरुआत करेंगा।
25 से 30 का हुआ,
मां – पिता काफी चिंतित हुए कि, ” बेटा काम नहीं करेगा – तो घर नहीं चलेगा,
देखना तेरी शादी भी नहीं हो रही है तो
हमारा वंश आगे कैसे बढ़ेगा। तू तो होशियार है तू खुद सोच।” तो श्याम बोलता है।
“मां मुझे कुछ महान करना है।
और उसके लिए अनुभव चाहिए होती है। जो कि मेरे पास नहीं है।
और वैसे भी मुझे शादी नहीं करनी है।
” ऐसे ही वह 30 – 31 – 32 – 33 – 34 – 35 का हो गया । बाल झड़ने और सफेद होने लगे थे –
चिंता के कारण।
ताक कई अनुभव मिले और कुछ बड़ा हो सके । पर कुछ बड़ा क्या – छोटा भी नहीं हो रहा था।
ऐसे बैठे-बैठे वह काफी परेशान हो गया था ।तो 1 दिन वैसे ही बैठा था तो देखता है
कि जो चीटियां होती है
वह उसके घर में बहुत बड़ी लाइन लगा रखी होती है – बड़ी लंबी लाइन।
चिटियों कि लाईन उसने देखी तो थी ।
पर इतनी लंबी नहीं देखी थी। तो वह उनका पीछा करता है और पाता है
कि चिटियां बहुत दूर तक गई थी।
और वह भी वह गुड़ के एक छोटे टुकड़े के लिए जिसमें से भी छोटे-छोटे टुकड़े लेकर।
अपने उस लंबी लाइन से घर तक आ रहे थे। यह देख कर उसके दिमाग में ख्याल आता है
कि अगर ये चिटियां बैठी रहती की गुड खुद अपने पास आ जाएगा- तब जाएंगे ।
क्योंकि उनके पैर बहुत छोटे हैं – तो इतनी दूर कैसे जाएंगे ।तो क्या खाती – मर नहीं जाती ।
इससे प्रेरित होकर वह अपने काम पर लगता है। उसे जैसे तैसे एक काम मिलता है।
वह कुछ कमाने लगता है।
पर वह कुछ ही था। पर यह कुछ नहीं से बेहतर है – वह भी यह कहने लगा था।
फिर देखते देखते वह साल-दर-साल बढ़ोतरी करता है।
उसकी पदवीं भी बढ़ जाती है तनख्वाह भी। और फिर शादी भी हो जाती है।
अब बाल भी आने लगे थे।
और उसके पास कुछ रुपए से काफी रुपए हो गए थे।
जिससे वह अपने गांव में पहली छोटा कारखाना खोलता है।
और वह छोटा फिर कुछ सालों बाद बड़ा होने लगता है। उसका कारखाना बड़ा हो जाता है।
हजारों लोगों को रोजगार मिलता हैं।
इस बीच उसके बच्चे भी बड़े हो गए थे। वह भी काफी समझदार थे।
तो पढ़ाई के बाद वह भी बैठ गए अनुभव के लिए।
तो श्याम अपने बच्चों को कहता है। कि, ” बच्चों अनुभव कोई वरदान नहीं है – जो प्रार्थना से बैठे-बैठे मिलेगा –
अनुभव कमाई है जो कर्म करने पर प्राप्त होती है।
” वर्ना अनुभव के इंतजार में इंसान जार हो जाता है – पर कभी महान नहीं बन पाता।” . . .
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