जल्द-से-जल्द और अभी : परेशान क्यों ?
जल्दी का काम शैतान का क्यों ?
यह जल्द-से-जल्द और अभी वाला किस्सा उसी कॉल सेंटर का है|
जहां मैंने खुद ऐसे कॉल्स 🤳लिए हैं और कईयों को, यहां तक कि सीनियर्स को भी
इस के चक्कर में परेशान होते देखा है |
बस होता कोई बड़ा मामला नहीं है| बस जो अभी – उस समय नहीं हो सकता – लोग वह चाहते हैं ;
वह कॉल पर है जिन्हे आराम की खोज है , कि सभी काम अभी और आज ही-हो जाए|
जिससे मैं कल से खुश हो जाऊं | पर जो अभी और आज हो-ही नहीं सकता, उसके लिए आज इतना चिल्लाते हैं –
होल्ड पर रहते हैं|इतने बेचैन रहते हैं कि एक-दो घंटे वह कॉल पर रहते है –
बाकी सब कुछ भूल कर परेशान रहते हैं|
और हम अंत तक यही कहते रहते है की सर आज हो -ही नहीं सकता |
और वो मुझे आज ही चाहिए | और वह तुम आज ही क्यों नहीं कर सकते|
सर नहीं हो सकता 10 बार मना किया जाता है | फिर सीनियर सेम समझाता है|
हमे कुछ दिक्कत नहीं होती क्युकी हमे वही काम होता है |
पर जो कॉलर है उसको कहाँ पता – वह तो अंजान है – और एक जिद्दी है |
वह भी किस चीज का की मैंने टिकट बुक कराई है |तो – जो मन में आएगा वह करुंगा|
और यह कॉलर पूरी जान लगाकर लगे रहते है – अपनी समझ से ज़्यादा ज़िद्द और आराम के लिए |
पर उन्हें नहीं पता चलता कि वह अपने आज के अराम को मार रहे हैं |
क्यूकी जब ऋतु होती है – तभी फल होते है | आज और अभी-के-अभी नहीं हो सकते |
यही आज और अभी कॉल हमारे सीनियर्स भी ले-लेते हैं|
और आधा-एक घंटा मना कर लेते हैं – तो अंत में यह अपना आज खराब करके ओके कल पक्का हो जाएगा
ना करके अपने-आपको थका के परेशानी में डाल कर के –
कल ही हो पाएगा पॉलिसी के तहत सुनकर कॉल काट देते है |
पर ये जो कॉलर है आज इतना प्रयास करके बेवज़ह के निराशा पाकर पुरे समय जब तक वो काम नहीं जो जाता परेशान रहता है |
कॉल यहां खत्म होती है| कल ही हो पाएगा के साथ|
यहां गौर करने वाली बात यह है कि वह लोग ज्यादा परेशान रहते हैं – बेचैन रहते है –
जो अपने समझ को नहीं ज़िद्द को और कल होने वाले काम को आज में मांगते हैं |
कल के आराम के लिए आज के आराम को मारना यह ठीक उसी प्रकार है|
कल रोशनी रहे इस वजह से आज मैंने बल्ब बंद कर लेता हूं|
हमें समझना होगा जो कल होगा वह कल ही हो पाएगा| मेहनत की बात सफलता की बात अलग होती है |
पर वो भी आज नहीं मिलती – अभी नहीं मिलती |
बिना ऋतु के लोग अब फल भी ऊगा लेते हैं| पर वह कितने आम और कितने दाम के होते हैं-तुम्हें पता है|
और अंत में एक फ़क़ीर जो दीवारों के बीच बेंच पर बैठकर नहीं –
बल्कि घूम-घूम कर के खुले में ज़िंदगी समझ के जिया |
वो क्या कहते है – वो जो सबसे ज्यादा चिंता मुक्त रहते हैं|
“ धीरे- धीरे रे मना ,
धीरे-धीरे सब होय ,
माली सींचे सौ घड़ा – ऋतु आए फल होय!”
अपनी ज़िद्द को उस जगह लगाओ , जहा काम हो –
वहां नहीं जहां फालतू के दो कौड़ी के कल के आराम के लिए – आज हराम हो !
और अंत में कल ही हो पायेगा का जवाब उधर से मिले
और तुम – तुम्हारा आज – और अभी भी परेशान हो !
…… वरुण
मेरी बुक्स:
1.हाथ जोड़ ली – और शक्ति छोड दी : समझ ज़रूरी है! (Hindi Edition) Kindle Edition
2. अंधेरों का उजियाला (Hindi Edition) Kindle Edition
जल्दी का काम शैतान का क्यों ?
Pingback:कलयुग एक पर्दा मात्र है ! - forhindi