इंसान कब : क्या हम सब इंसान हैं?
पृथ्वी का सृजन फिर उस पर हजारों-करोड़, जीव-जंतुओं का प्रजनन। लाखों सालों बाद एक ऐसा जीव है जो दो पैरों पर चलता था –
हाथों का प्रयोग करता था। पर ना तो वो बंदर जितना फुर्तीला था – ना शेर जितना हौसला – ना वजन हाथी जैसा।
वह अलग ही था। उसमें एक बात थी कि वह जिंदगी के लिए लल्लायित था। जो कि बाकियों की तरह ही – आम बात थी।
फिर सालों बाद वह कोई आदिमानव कहलाया। क्योंकि उसमें अच्छे से जीने की ललक पैदा हो गई थी।
वह आग को पत्थर से रगड़ कर जलाना और उसकी ताप/जलन का प्रयोग करना सीख गया था।
वह भोजन को समझना सीख गया था। अब वह इधर से उधर भटकता था कुछ भी खाने या व्यर्थ के लिए नहीं।
बल्कि भोजन इकट्ठा करने के लिए।
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फिर सालों दर सालों कई साल बीतते गए और फिर जब वह हंस्तांतरण कृषि करने लगा।
जब वह भोजन एकत्रित करने के बजाय – उगाने भी लगा। एक जगह पर स्थाई घर बनाकर रहने लगा –
पेड़ – पत्ते – जानवरों के चमड़े के कपड़े की जगह ऊन और बाकी धागों का प्रयोग करने लगा।
तब जाकर वह आदि से मानव कहलाया। पर अभी तक वह सिर्फ या तो आदिमानव था या सिर्फ़ मानव,
इंसान नहीं। क्योंकि अभी तक वह सिर्फ अपने शरीर को बचाना और सुरक्षित रखना सीखा था।
जो बाकी प्राणि भी करते थे। लेकिन वह मानव तब इंसान कहलाने लगा जब उसने रोटी-कपड़ा-मकान बेहतर जीवन के उपरांत,
यह प्रशन कर सका कि हमें मानव क्यों बनाया ? हमें अक्ल क्यों दी ? तब यह मानव – इंसान बन पाया।
पर यकीन मानिए अभी तक अधिकतर मानव सिर्फ मानव है।
इंसान नहीं – क्योंकि अधिकतर मानव सिर्फ शरीर और उसको सुरक्षित रखने में ही उलझा हुआ है।
सिर्फ कुछ है जो इंसान है। जो शरीर की रक्षा और रख-रखाव तो कर ही रहे हैं।
पर इन सबके बावजूद जो यह पूछ पा रहा है – यह जीवन क्यों ?वो इंसान है – मेरा यकीन मानिए या मत मानिए पर मेरे एक प्रशन है।
वो ये कि :-👇
ऐसा क्या है जो मानवों को जानवरों से अलग बनाता है। बोलना- उनका अलग होना।
नहीं! उनका बेहतर भोजन- वस्त्र – बिस्तर – मकान- सुविधा- बेहतर जल की खोज,
आदि बेहतर की खोज। उसे जानवर से उच्चतर बनाता है।
अगर जीवन जीने वाले अन्य प्राणि मानव से सिर्फ इसलिए छोटे हैं क्योंकि वो बेहतर की तलाश नहीं कर सकते।
तो मानवों में भी तो यह नियम लागू होता है – क्योंकि हम सबके पास बुध्दी है –
तो जो इन बुध्दि का बेहतर तरीके से प्रयोग करता है – वो तो अन्य से फिर श्रेष्ठ होगा ना ।
तो मेरा दूसरा सवाल :- 👇
इंसान को मानव से अलग क्या बनाता है? इसका जवाब अभी ऊपर ही दिया है।वह मेरा जवाब वही है कि,
मानव बेहतर की तलाश है – आदि मानव जो मिल जाए की और इंसान यह क्यों मिला की खोज है!
और यही इंसान बुद्ध-महावीर-राम-कृष्ण तब बना जब उसने जाना कि :-
यह संसार क्या है?
झूठ क्या है? – सत्य क्या है?
लालच क्या है? – समर्पण क्या है ?
मोह क्या है ? – प्रेम क्या है ?
मृत्यु क्या है? – जीवन क्या है ?
सही क्या है ? – गलत क्या है ?
लोकलज्जा क्या है ? – शरीर क्या है ?
यह क्यों, क्या है ?
अनादि !
इन सबके के जवाबों को ही नहीं जब उनके पूर्ण रूप से प्रश्नों संग स्वीकार किया –
तब वह इंसान बुध्दि – महावीर- मर्यादपुरुषोत्तम और पूर्ण पुरुष हुए।
जीवन को जीना और जीवन को कैसे जीना ।आदि मानव और मानव होने का फर्क है।
जीवन को क्यों जीना? इंसान का।
और ये कब? कैसे? कहां ? किसके लिए ? क्यों ? यह सब क्या है ?
महात्मा – महावीर – मर्यादा पुरुषोत्तम – पूर्ण पुरुष का फर्क है।
मेरा यह लेख लिखना – आपको किसी दुविधा में धकेलना नही है।
बल्कि सिर्फ इतना बताना है कि प्रश्नों की श्रेष्ठता- संसार की समृद्धि के श्रेष्ठता है ।
प्रशन अनिवार्य है। पर ध्यान रखें कोई भी प्रश्न छोटा या बड़ा नहीं।
बस समय और असमय का फर्क होता है। और सही प्रश्न – सही व्यक्तित्व के निमार्ण में सहायक होता है।
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !