अमर
वह कामना जो हर प्रार्थना की है – मृत्यु मा अमृतं गमाया।
वह लालसा जो हर राक्षस – राक्षस के राजा रावण और देवताओं की है।
देव तो अमृत पी अमर हो गए। और राहु – केतु भी उसी श्रेणी में आ सम्मिलित हुए।
पर हर बार जब राक्षसों-मानवों ने योग किया। केंद्र में हमेशा अमर होना ही रहा।
पर ना अमृत्व कंस ही प्राप्त कर पाया – ना रावण और ना ही काल।
जो सबको अमर होने नहीं देता। हिरण्यकश्यप ने जब अमृत्व मांगा,
तो ब्रह्मा ने उसे अपने धर्म के विरुद्ध कह कर मना कर दिया।
तो हिरण्यकश्यप ने ही ना केवल अपितु उसके वंश के असूर प्रवृत्ति
ने जो मांगा उन्हीं में से 1 वर इसने मांगा। जो बिल्कुल वैसा ही था जैसा अमरता।
पर अमरता जैसा और होना में फर्क जमीन-आसमान का ही है। पर ना रक्तबीज ही नहीं –
इच्छा मृत्यु का वरदान वाले गंगा पुत्र देवव्रत भी तक जीवित नहीं है।
और ना ही विष्णु के अवतार सह शरीर इस पृथ्वी पर रह पाया।
परशुराम जी को मैं भूल नहीं रहा हूं। पर वह भी अमर नहीं है।
वे निमित्त के लिए हैं और जब वो पूरा हो जाएगा तो उनका परशा भी आमृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
यानी कि अमर या तो सिर्फ देव है- या-आत्मा या राहु – केतु ।
और फिर अमृत्व कहे तो अमृत्व में कर्मयोग-ज्ञानयोग सम्मिलित है।
इस सृष्टि का नियम जो जन्मा है – उसका मरना तय है।
चाहे वह पालनहार अवतरित हो या स्वयं महामृत्युंजय यानी शिव।
प्रकृति का नियम स्वयं प्रकृति भी नहीं तोड़ सकती। फिर जो उसमें रहने आए हैं।
वह कैसे इस नियम को तोड़ सकते हैं। गंगा अपनी सीमा को एक झटके में लांग सकती है –
समुद्र भी ऐसा कर सकता है। अग्नि – वायु -सूर्य – पृथ्वी सब ऐसा कर सकने में सक्षम है।
पर कोई भी ऐसा नहीं कर पाता।
क्योंकि प्रकृति का आधार ही कुछ ऐसा है। जो आधार से जन्मा है वह आधार हिलने पर अवश्य भस्म होगा।
वैसे इनके पास शक्ती है – फिर भी वह उस सीमा को पार नहीं कर सकते। गंगा – समुद्र बाढ़ ला सकते हैं।
पर अंततः एक सीमा तक ही।तो अमरत्व तो पा नहीं सकते।
फिर ये ऋषि – वेद- प्रार्थनाएं किस अमृता की बात करती है।
ब्रह्मा-विष्णु-महेश अमृता का वरदान देने में सक्षम नहीं है। तो हम किस अमृता की बात करते हैं!
अमरता जो मेरी समझ में आई है :- कि हम अभिमन्यु-प्रहलाद-अर्जुन-कृष्ण-राम और बुराई में भी
देखेंगे तो रावण-दुर्योधन- कर्ण की बात करते हैं।अमरता हमारे शरीर को प्राप्त नहीं होती
अमरता आत्मा को कर्म को ज्ञान को प्राप्त होती है।
इसलिए सदैव याद रखयेगा अमरता शरीर के लिए नहीं – जीवन के लिए होता है –
और जीवन कर्मों का और – कर्म – ज्ञान का और ज्ञान – सोचने-समझने का और यह सब पढ़ने का –
प्रयास का – मेहनत का । इसलिए अमृता की प्राप्ति करनी है तो अमृत में गोता लगाओ।
और तुम राम-कृष्ण-अर्जुन बुद्ध-भीष्म जितने महान हो जाओगे।
क्योंकि इंसान लंबे समय तक जिंदा नहीं रहते । वह एक लिमिटेड वैलिडिटी के साथ आते हैं।
पर जो कर्म होता है ना। जो संदेश होता है। जब तक इंसान रहेंगे तब तक के लिए होते हैं।
इसलिए कर्म करो और ज्ञान अर्जित करो। यही अमृता है – और सच्चाई भी!
For more visit 👉👇
3. अपनाएंगे नहीं तो बदलेंगे कैसे?
————-Meri Books———
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !
Read it