जीवन का नरक
जीवन का स्वर्ग और नरक यही है की
आप अपने ,इस साधन(शरीर) का प्रयोग किस प्रकार से –
और किसके प्राप्ति के लिए कर रहे हो !
अगर इसका प्रयोग केवल और अधिक और अधिक श्रण भंगुर तुष्टि के लिए कर रहे हैं|
तो यह जीवन – नर्क है |
और अगर वही इस साधन का प्रयोग साधने के लिए कर रहे हैं|
तो यही स्वर्ग है यही जीवन का उच्चतम लक्ष्य और मोक्ष है और
अगर सिर्फ इस साधन का प्रयोग भोग – भोग और भोग के लिए कर रहे हैं – तो यही रोग है | यही तुच्छता है |
सही भोगो – यही स्वर्ग है| साधन को साधना के लिए प्रयोग करो , जीवन का यही उद्देश्य है|
और यही उच्चतम कर्म की उस ऊंचाई को प्राप्त करने के लिए अपने साधन को निचोड़ डालना ना कि अपने साधन के लिए जीवन को चूसना |
यही स्वर्ग और यही नरक है –
सही जीवन जियो – तो स्वर्ग है – और सिर्फ नरक के लिए जियो तो यही नरक है !
———-> जिंदगी की नींव <———-
तरकश के तीरों में –
वो तीर रखो –
ज़िंदा हो जिंदगी की नींव रखो –
घायल हो जाये परिंदा –
तो क्या होता है –
फतेह करना है आसमां तो –
घाव भरे या ना भरे –
हौसला पर पूरा रखो –
किस्मत से लड़ाई हो –
या मन से टकराओ –
दरिया वही नाव पार
करती है –
जिस में हर हालात से
लड़ने का जूनून होता है !
———-> जिंदगी की नींव <———-
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———-> जिंदगी एक तिलिस्म <———-
कुछ हालातों ने बनाया है –
कुछ खुद चुना है –
ज़िन्दगी न-जाने वफ़ा है – की बेवफा है |
कुछ अधूरी कहानियां पूरी है-
कुछ पूरी कहानी अधूरी |
इंतजार जिसका न हो वह जल्द मिल जाते हैं –
जिनकी इंतजार में अखियां बैठी हो –
वह बड़ा वक्त लगाते हैं |
मरहम भी वही लगाते है –
जो सच में दर्द देते है –
कई अपने अच्छे नहीं लगते –
और जो लगते है अपने नहीं होते |
यही तो ज़िंदगी का सफर है –
यह लोग बताते है –
पर ज़िंदगी वफ़ा है की बेवफा
आज भी एक तिलिस्म है
मेरे लिए !
———-> जिंदगी एक तिलिस्म <———-
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1..सदियो की मोच : आज भी है जिंदा
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1@हाथ जोड़ ली – और शक्ति छोड दी : समझ ज़रूरी है! (Hindi Edition) Kindle Edition
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2@अंधेरों का उजियाला (Hindi Edition) Kindle Edition
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3@आत्म-शक्ति! (Hindi Edition) Kindle Edition
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