मोच
एक छोटे से गांव मे ,अपने बुढ़े माँ-बाप के साथ दो भाई एक छोटी सी छोपडी मे रहते थे।
वो बहुत गरीब थे। वो दोनो भाई अपने छोटे से खेत मे खेती करते थे,मगर उतना नही कमा पाते थे,
कि खाने के साथ-साथ नय कपड़े भी पहन सके और बचा सके।
इसलिए छोटा वाला शहर जाके कमाना चाहता था।मगर बड़ा वाला थोडा पढा-लिखा था।
और जवान था सो उसका खून गर्म था और वो कुछ बडा अफसर बनना चाहता था।
मगर इतनी कमाई ना थी।सो छोटा वाला बोलता है कि मै शहर जा रहा हूँ ,
आप माँ-बाप का ख्याल रखना और यह बोलता है कि मै अकेले इनका ख्याल कैसे रख सकता हूँ।
और मुझे भी कुछ करने है-सो इनका ध्यान कौन रखेगा।सो यह विचार करके बड़े की शादी जैसे-तैसे कर दी गई।
की वह उनके माता-पिता का ध्यान रखेगी।और यह दोनो अपना काम कर सकेंगो।छोटा वाला तो जैसे-तैसे शहर पहुँचा।
मगर उसको काम जल्दी ना मिल पाया और इधर बड़े पर जिम्मेदारी और बढ गई।
कुछेक साल बाद उसका एक बच्चा भी हो-गया और परिवार और बढ गया मगर आय नही ।
और ना-ही अभी तक छोटा शहर से वापस आया था।सो यह खेती के साथ-साथ कुछ और काम करने लगा।
और अपने सपने को पूरी तरह भूल गया।चार साल बाद छोटा वापस आया तो कुछ कमा के आया था।
“तो बड़े से बोला कि भैया आप अफसर बनना चाहते थे ना,
मगर उस वक्त पैसे ना होने कि वजह से आप बन ना पाय।
मगर अब मै इतना कमा लेता हूँ कि मै परिवार को भी कैसे-ना-कैसे चला लुँगा।
और आप अपनी तैयारी भी कर सकते हो।मगर बड़ा बोला नही छोटे ये बढा अफसर बनना बड़े लोगो की हैसियत है ,
और हम तो दो वक्त की रोटी भी ना जुड़ा सकते । वैसे भी अब मेरे बच्चे हो गय है
अब इनका भविष्य देखु कि अपना और अब तो उम्र भी हो-गई है।
वैसे भी हमारे परिवार मे से कभी कोई अफसर बना है क्या,जो हम बनेगो। ”
खैर तु मत सोच यह ,तु चल तेरी भी उम्र हो गई शादी कर ले।और अपना घर बना और छोटे मै माँ को रख लेता हूँ,और तु पिता को संभाल।
अच्छा दिखा तु क्या लाया। अरे वाह मिठाई वो भी महँगी वाली।
…वरूण
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !