जड़
बाकि पेड़ो की तरह यह भी एक पेड़ था।बाहर से मदमस्त मगर शायद अंदर से कमजोर था।रात को एक दिन तुफान चली और सुबह मे उस पेड़ की लाश जमीं पर पड़ी मिली।जंगल सुबह यह नजारा देख हैरान क्योंकि उससे पतले-पतले पेड़ तो बचे थे,मगर वो धराशाई था।वो पेड़ दिखने मे कमजोर नही था,खूब फला-फूला,मोटा-तगडा,बड़ी-बड़ी शाखाएँ,हरे-भरे पत्ते मगर फिर भी वो धराशाई था।
ये कैसे हुआ?सबसे ज्यादा फल भी उसी पर लगता था।वो बाकि पेड़ो से भी ज्यादा बलवान भी लगता था।मगर आज वो पेड़ गिर पड़ा था। मगर तुफान भी तो इतना तेज नही था।कार्यवाही हुई तो पता चला ये कि वो ऊपर से बलवान था,मगर नीचे से कमजोर था।इसकी जड़े मिट्टी को पकड़ नही पा रही थी।मगर इसका वजन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही रहता था।यह आसमाँ छूने को बचपन था,मगर उस मिट्टी को भूल गया था।जिसने इसको एक पौधे-से-पेड़ बनाया था।तभी ये एक छोटी-सी तुफान से ही धराशाई था।…..वरूण
💭आसमाँ का शौक रखो,
मगर जमीं को भी हमेशा याद रखो।…..वरूण
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जड़
जड़
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !