पाप कर्म की धुलाई
थे हम वॉशरूम साफ कर रहे – पहली बार था – जो मैं ऐसा कुछ कर रहा था –
तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था –
कह सकते हैं कि घृणा हो रही थी। और मेरा ऐसा रियेक्सन को देखकर जो मेरे सीनियर थे –
जो वह काम कर रहे थे,
यानिकि उसकी सफाई। वह मेरा प्रोत्साहन कहूं या अपने आपको
वह काम करते मेरे द्वारा ऐसे देखे जाने की हीन भावना से बचना चाहते थे पता नहीं,
वह कहने लगे – देख भाई शायद हमने पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा,
जो हमें यह काम यानी कि दूसरों की मल-मूत्र को साफ करना पड़ रहा है।
( मैं यह कह दूं कि मैं इस काम को तुच्छ और इसे करने वाले यानी
खुद को भी हीन या अछूत नहीं कह रहा -क्योंकि जिस कर्म से पेट भरे –
और संसार स्वच्छ हो वह काम कभी-भी तुच्छ नहीं हो सकता।
इस वार्तालाप के दौरान वह काम चलता रहा और जब वह वॉशरूम साफ हो गया,
तो हमने लोगों को इजाजत दिया कि वह उसे प्रयोग कर सकते हैं।
तो जो प्रयोग करने वाले आम वह हमें ऐसे देख रहे थे जैसे कोई पाप को।
यह बात कुछ हज्म नहीं हो रही थी कि मेरे सिनियर ने एक बात कह दी –
कि, ” देख वरूण, कोई और काम देख। हम कब तक यह धुलाई करेंगे।
हमारी सबसे बड़ी गलती क्या है। जानता है? हमने अपने कामों में आराम देख लिया है – जो कि यहां है भी।
पर वह आराम ने हमें इस कभी – कभार नर्क को साफ करने का काम दे रखा है।”
यहां इस टॉपिक पर हमारी बात खत्म हुई। और मेरी और मेरे मन की बात शुरु हुई टॉपिक था
‘पाप कर्म की धुलाई’। यह वाक्य मेरे दिमाग में खनकने लगा जैसे –
‘कोई सिक्का उतावला होता है जेब से बाहर आने के लिए ठीक वैसे ही।
‘ सोच-विचार संतुष्टि भरे – मन की तृप्ति वाले उत्तरों की खोज शुरू हुई।
पाप कर्म की धुलाई मैं सोचने लगा, कि क्या पाप धुल सकता है ?
अगर हां ! तो उसकी सजा नर्क में मिलने की बात मैंने क्यों इतनी बार –
इतने ज्यादा लोगों से सुनी है जब पाप यूं ही धूल जाती है-तो।
दूसरा सवाल ये कि अगर यह पाप कर्म की धुलाई है –
तो यह तो अच्छी बात है। हमारे सारे जन्मों के पाप खत्म हो
जाए तो क्या पता इस जन्म स्वर्ग मिल जाए।
फिर इस कर्म से इतनी नफरत क्यों? क्यों इसे छोड़ने की सोचना ?
और सबसे जरूरी बात जो मुझे समझ में आई कि अगर हम यहां पर नर्क की सफाई कर रहे हैं-
यानी कि धरती पर ही – तो इसका मतलब नर्क धरती पर ही है।
तभी तो हम जीवित लोग नर्क की सफाई कर रहे हैं।
और घर हम नर्क साफ कर रहे हैं – तो हम तो फरिश्ते हुए ना। हीन थोड़ी – अच्छूत थोड़ी।
गलती हो गई हम अछूत ही है। क्योंकि फरिश्तों को जमीं वाले कहां छु-पाते हैं।
और तीसरी बात आराम खोजोगो तो वही काम कर पाओगे ना – जो मेहनती हाथ करके छोड़ चुके होते हैं।
और चौथी बात की अगर पाप कर्म यानी कि मल-मूत्र की सफाई कर रहे हैं।
इसका मतलब क्या हम औरों का पाप अपने माथे ढो रहे हैं। अगर ऐसा है तो क्या किसी के पाप –
किसी और को ढोना पड़ता है। बड़े ! और अजीब सवाल है। पर जब जवाब ऐसे हैं तो सवाल इस म्यने से कहीं अच्छे हैं।
यानी कि मुझे जो समझ आया वह यह कि:-
‘ नर्क हमीं है’ – ‘ स्वर्ग हमी है’
‘ धुलाईकर्ता हमी है ‘ _ ‘नर्क फैलाने वाले हमीं हैं’ ।
‘ अछूत हमीं हैं ‘ _ ‘ और छूत भी हमीं हैं ‘।
इन सबका आधार हमारा – कर्म है!
1. इंसान कब:- क्या हम सब इंसान हैं ? 👈🤔🤔
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !