Fate(किस्मत)
ब्रह्मा थक गए थे। लोगों की जन्म से पहले किस्मत लिख-लिख कर।
उन्हें मजा नहीं आ रहा था अब, वही सब देखने में जो उन्होंने लिख रखा था।
तो इस बार उन्होंने एक प्रयोग करने की सोची और एक बच्चे को बिना किस्मत लिखे धरती पर भेज दिया।
9 महीने बाद इसका जन्म होता है। एक साधारण से आदमी की तरह ही दो हाथ दो पैर और हाथों पर लकीरे इंसानों की तरह ही।
उम्र के साथ यह मर गया।और ब्रह्मा को अपने प्रयोग में कुछ भी नया नहीं मिला।
जैसा कि उन्होंने सोचा था! यह बच्चा बड़ा होता है गरीबी में ही-वैसे ही बातें करता है;
और अपने हार की- कुछ ना कर पाने की वजह अपनी किस्मत को ही देता था।
बाकियों की तरह ही!
क्योंकि यह भी तो इंसानी ही था-लकीरें भी थी हाथों में और बस्ती में भी तो इंसानों के ही रहता था।
तो ब्रह्मा ने पूछा तुमने धरती पर कुछ भी नया क्यों नहीं किया?
तुम जिस हालत में पैदा हुए थे उसी में जिंदगी गुजार दी! क्यों ?
आदमी ने बोला “मेरी किस्मत आपने ही तो लिखी थी! फिर आप ही दोष क्यों दे रहे हो?
यह सवाल क्यों पूछ रहे हो ?
मेरे समाज में तो यही बोलते हैं कि :-वही होता है जो ऊपर वाला चाहता है;
फिर मैं कैसे कुछ कर सकता था, आपके लिखे के विपरीत“!
इसलिए आपने मुझको जितनी चादर दी थी उतनी में हीं मैंने पैर पसारा।
तो यह सुन ब्रह्मा ने अपने सर पर हाथ रख लिया! और बोला अरे मूर्ख!
मैं तेरी किस्मत लिखना ही भूल गया था।तु जैसा चाहता अपनी किस्मत बना सकता था।
तो यह बोला प्रभु अब क्या होगा? तो ब्रह्मा ने बोला “कुछ नहीं!
तुम्हारा मानव-योनि यहीं समाप्त होता है। यही तुम्हारी किस्मत है
जो तुमने जानी है और बनाई है।”
और यह फिर अपनी किस्मत को दोष देता हैं और मर जाता है।
किस्मत आपके जिंदगी को डिसाइड नहीं करती आपके पलो को डिसाइड करती है।
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