ऐनक
एक राजा ने अपने दरबार में एक ऐनक लगाया। जो कि अभिमंत्रित था
यानीकि उनके राज पंडित ने उस ऐनक को उस दीवार पर राजा के कहने पर लगाया था। 👇
इसका काम यह था कि जो भी गलत जवाब देने वाला होते उसका चेहरा वह पहले ही दिखा देता।
ताकि राजा जान सके कि वह राय सही है या नहीं। तो क्या हुआ कि
जब वह ऐनक दरबार में लगी तो सारे सत्ते में आ-गया। यानीकि संकोच में।
कि कहीं एक गलत बोला नहीं कि राजा साहब कही काम से ना निकाल दे।
तो दरबारी से लेकर मंत्री और खुद राजा भी कुछ पूछने से पहले हजार बार सोचता।
क्योंकि राजा को भी शक था, कि कहीं
वह मंत्रियों के नजरों में ना गिर जाए और मंत्रियों को डर था
कि कहीं नौकरी ना छिन जाए। तो ऐसा हुआ कि काम की बातें दरबार में कम हो गई और
राजा से लेकर नौकर चाकर तक इधर-उधर की बातों में डूबने लगे।
ताकि किसी की कमी जाना बाहर आ जाए। बस यह काम चलता रहा तो सभासद सभासद ना रह कर।
गप-शप की टपरी मात्र बनकर रह गई।👇
और जब किन्ही 1-2 ने कभी मुश्किल पड़ने पर जवाब देने की कोशिश की तो उसके जवाब सोचने के लिए भी वह अपने घर जाते। ताकि गलती पहले ही सामने ना-आ जाए। ऐसा नहीं था कि किसी ने कई बार जवाब देने की कोशिश ना की थी। मगर उन्होंने जब असल में कोशिश की उससे पहले ही उनके शक ने उनके जवाबों को गलत साबित कर दिया और ऐनक ने अपना काम। और राजा ने अपना फर्ज निभाया मंत्रियों को बर्खास्त करके।
ऐसा करके राजा को लगा कि उसने गलत राय वालों को काम चोरों को निकाल दिया। और वो ऐसे ही सोचता। और इधर-उधर की बातों में लगा रहता। और उसके बिना पता चले ही उसका राज्य राजा विहीन हो गया।👇
अर्थव्यवस्था कंगाल हो गई। क्यों? क्योंकि गलत होने के डर ने बच्चे को बड़ा होने से पहले ही सांस लेने से पहले ही गला घोट दिया था। उसका जो आगे चलकर अर्थव्यवस्था की अर्थ कमाता मगर अर्थ आता कहां से शब्द को वाक्य बनने नहीं दिया लोगों ने! सीढी नीचे होती होती है ताकि वो ऊपर पहुंचा सके। मगर उन्होंने पहली सीढ़ी ही तोड़ दी। तो आगो कैसे चढ़ते।
One important lesson 👇👇👇
गलत होने के डर से सही करना मत छोड़ो गलत करने से डरो!
Another short paragraph just for you👇
हां
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !