बड़े पुरूष:- का मतलब क्या ?
कुछ कमा कर आए थे। नाइट शिफ्ट थी। थकान ज्यादा थी तो आकर नहा- धुआ कर खाना-वाना खाकर सो- गए।
शाम को 5:00 बजे नींद खुली, जब पत्नी वापस आई सुबह 5:00 बजे उठकर सब कुछ 7:00 बजे
से पहले तैयार करके ऑफिस को जाने वाली।
फिर वहां से आकर वापस पति की ड्यूटी जाने का वक्त बहुत पास आ रहा है,
यह सोचकर अपनी थकान भूल,
फटाफट रोटी बनाने बैठ जाती।
और पति को कभी बेवक्त रोटी मिलती नहीं थी। पर आज थोड़ा देर हो गई ।
इस बीच पति को सुबह की चाय तो मिली थी पर शाम की देर हो गई और
अभी तक चाय के लिए भगोना गैस पर नहीं चढ़ा था।
पर इतना सब्र मर्द जाति ने कभी किया है जो अब करते।
उन्हें तो यह दर्शाना जरूरी था, कि वह मर्द जाति से आते हैं।
और जो उनकी अदब को नहीं जानते – उनके सामने सम्मान को ठेस पहुंचाता है।
तो इतने में तो पति देव जी जैसे गैस पर बैठे हो –
लग रहा था क्योंकि वह बहुत जल्द काफी गर्म हो गए थे।
वह चिल्लाएं की कोई जरूरत नहीं है, खाना बनाने की।
जब छोटी चाय तक नहीं बन सकती तो, क्या फायदा ऐसी पत्नी से।
पत्नी कुछ बोले उससे पहले उन्होंने दिखा दिया कि वह मर्द है –
औरत पर हाथ उठाकर के। और गुस्से में सारा खाना इधर-से-उधर करने ही वाले थे,
कि वो हाथ भी पत्नी ने अपने गालों पर ले लिया।
और कैसे भी करके चाय बनाई और दे दिया । और जिस खाने को वह बचाई थी
उसी को पैक कर रात के खाना दे दिया पर पति अभी-भी गुस्से में था।
क्योंकि मर्द जाति का अभिमान जो टूट गया था। जो अक्सर हर मर्द में देखा जाता है।
मर्द होने का यह मतलब नहीं की स्त्रियां –
गुलाम बनाई जानी चाहिए !
1. क्या आप भी आंखें बंद करके जागते हैं ?
2. कामवासना :- अध्यात्म और इंसानी लालसा !
3. दुनियादारी सिखें :- फायदे में रहे !
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बड़े पुरूष:- का मतलब क्या ?
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !