जलने वाले
ये बात उस समय की है। जब मैं सिर्फ दोस्ती समझता था और थोड़ा ज्यादा जलन भी।
ये बात तब कि है, जब मैं आठवीं में था। उम्र चौदह रही होगी।पढ़ने मे अच्छा था मगर पढ़ता नही था।
खेलने-कूदने-घूमने और क्लास मे सोने का आदि था। मैं और मेरे दो-चार दोस्त बाकि तो पूरी क्लास भी दोस्त ही थी।
मजे मे रहते मगर पढ़ाई से जुड़े रहते।इन्ही दोस्तो मे से एक दोस्त ही था नाम; नाम क्या बताऊ छोड़ो।
अब वो कामर्स मगर है और मैं आर्ट्स में। मगर वो अभी-भी थोड़ा जलता ही है। क्योकि ये उसकी प्रकृति है।
शायद उसने यह अपनी माँ से पाई है। ये मैं इसलिए कह रहा हूँ कि उस दिन पी.टी.एम. था,
जिस दिन मैं उसकी माँ से मिला था।सातवीं क्लास मे मैं फर्स्ट आया था।
और वो सेकेंड उसकी माँ आई और जब सुना की मैं फर्स्ट आया हूँ।
तो उसी वक्त ना आगो देखी ना पिछे और तपाक से बोल, “ये कैसे फर्स्ट आ गया तु कैसे नही ?
क्या तुझे इसलिए पढ़ती हूँ! मेरे सामने ही बोला था ।उस वक्त मेरी माँ भी साथ मे थी।
मैं तो वही चिढ़ गया था। मगर माँ ने घर पर आके कहा कैसे दोस्त बनाता है-तु !
उससे अब दूर ही रहिये ! मैं तो दूर रहने लगा। मगर ये मेरा पिछा नही छोड़ता। हर बात मे होड़ करता।
नीचे दिखाने की कोशिश करता।और कई बार किया भी है।
लोगो के सामने तु-तो इतना अच्छा है पढ़ने मे फिर-भी मेरे से कम नंबर।
और यह तो सिर्फ एक वाक्यांश है। ऐसे लोग हमेशा ऐसा ही रहते है।
आठवी मे यह सेकेंड आया था और मैं थर्ड तो स्कूल मे भी मुझे सुनाया।
और उस दिन घर भी मेरे आया। जब वो आया तो मैं चाय बना रहा था।
मुझसे आके बोला कि आज मैंने पार्टी रखी है छोटी सी तु जरूर अइयो !
मैंने पूछा क्यूँ तो उसने बोला तु थर्ड आया है ना इसलिए।
मगर मैं चौदह का था मगर इतन तो समझ ही सकता था
कि वहाँ जाने से क्या होगा और यह पहली बार मुझे बुलाने क्यू आया था।तो मैं नही गया।
और अब चार सालो बाद बारहवी मे हूँ। तो पिछले सितंबर की ही बात ले-लो।
‘टीचर्स डे’ पर मैंने बड़ा अच्छा भाषण दिया था।तो टीचर्स ने थोड़ी तारीफ भी कर दी।
तो ये तो उस समय बोला और रास्ते भर बोलता रहा कि तेरे से तो सारा स्कूल खुश है।
ये तेरे को मानता है – वो तेरे को मानता है। मैं समझ रहा था। मगर मैं उलझ नही रहा था।
मैं चुप-चाप यूँ ही मस्ती मे चलता रहा। उसके ठीक मेरे पास एक और ऑफर आया ‘हिन्दी-दिवस’ पर बोलने के लिए।
तो ये सिध्दा बोला कि इसे मत बोलने दो नही तो यह यार-यार ही करता रह जायेगा।सुनील तु चला जा इसकी जगह।
मगर मुझे क्या था। जलने दो जाने वाले खुद ही गल जाते है।
मगर हमेशा याद रखना इनसे थोड़ा सतर्क रहना।ये खुश होते है तुम्हे दुखी देखकर,
तो इनके सामने थोड़ा दुखी ही दिखना! क्योकि ये वो बाती होते है जो खुद जल रहे होते है
और साथ मे बगल वालो को भी गला रहे होते है।
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जलने वाले
जलने वाले
ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !