मर्यादा :- आखिर पूजे क्यों जाते हैं ये 🤔
शुरुआत आरंभ से आज तक के कालों की:- 👇
1. सतयुग:- 👇
सतयुग में राजा हरिश्चंद्र खुद बिक गए। उनके रहते उनकी पत्नी भी बिक गई और पुत्र भी अलग हो गया। अपने ही पुत्र के अंतिम संस्कार के लिए भी चाढावा बिना अंतिम-संस्कार होने नहीं दिया। ना वो एक पति बन पाये, ना ही पिता । फिर भी शरीर संग स्वर्ग पाए, वह कैसे?
2. त्रेतायुग :-👇
Siya_ke_Ram…. Humare_abhimaan…. Jai_shri_Ram… |
लंका विजय! सीता का अग्नि परीक्षा। गंगा की जैसी पवित्र नारी का अग्नि परीक्षा वह भी रम की आंखों के सामने,
राम ने रो के आंसू तो इजहार किये। मगर वह अग्निपरीक्षा ना रोक पाए। यह एक कलंक कह सकते हैं। मगर फिर भी वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए ! आखिर क्यों? वह रावण नहीं! मगर एक नारी का इस प्रकार अग्नि परीक्षा हुआ लेकिन फिर भी वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए आखिर क्यों?
3. द्वापरयुग:-👇
Radhe-Radhe |
श्री कृष्ण! रणछोड़! छलिया! भी कहे जाने वाले। नरकासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16000 स्त्रियों को पत्नी बनाने वाले । लोग इस नाम से भी बुलाते हैं उनको। मगर फिर भी पूजे जाते हैं! वह फिर भी पवित्र प्रेम की पराकाष्ठा माने जाते हैं। राधा को छोड़कर भी; और 16000 स्त्रियों से विवाह करके भी ! आखिर क्यों?
4. कलयुग:- 👇
कलयुग गौतम पत्नी बेटा छोड़ बुध बन गए और लोगों ने पूजते हैं! आखिर क्यों?
ये सब पूजने योग्य है क्योंकि:-👇
सतयुग:-👇
. हरिश्चंद्र खुद बिके , उनकी पत्नी बिकी। वह पिता का फर्ज नहीं निभा पाए। मगर अपने सुख के लिए नहीं। अपने समाज के कल्याण के लिए। खुद के लिए नहीं! भविष्य के उदाहरण के लिए वरना वह एक राजा थे वो झूठ भी तो बोल सकते थे मगर उन्हें भविष्य को एक उदाहरण देना था इसीलिए वह खुद भी बीके उनका परिवार भी बिका। मगर एक बात बताऊं उनका स्वाभिमान कभी नहीं बिका था।
त्रेतायुग:-👇
. राम ने अग्नि परीक्षा इसलिए नहीं रोका ताकि सीता के चरित्र पर भविष्य में कोई उंगली ना उठा पाया। क्योंकि वो इस पुरुष प्रधान समाज को अच्छी तरह से जानते थे। और यह सीता की ही याचना थी। वर्ना तो राम स्वयं नारायण थे। उन्हें सब पता होता था और है। उन्होंने यह सीता के स्वाभिमान की रक्षा के लिए, स्त्रीत्व की भंगिमा के लिए होने दिया। खुद स्त्री का परीक्षा लेने वाला कलंक सह कर भी!
द्वापरयुग:-👇
कृष्ण ने 16 हजार स्त्रियों से शादी किया और राधा को छोड़ा। मगर अपने सुख के लिए नहीं किसी की इज्जत और किसी की मान बचाने के लिए।
कलयुग:-👇
गौतम-बुद्ध बने अपनी पत्नी छोड़, कर्तव्य छोड़, अपने सुख के लिए नहीं औरों के दुखों को देखकर उनसे आसिक्त होकर वर्ना तो वो एक राजा थे ! उनको क्या कमी थी।
सरांश
इसलिए यह पूजे जाते हैं, रावण ने भले ही सीता को जबरदस्ती हाथ नहीं लगाया। मगर यह भी सच है कि उसने उसे अपने स्वाभिमान खातिर, अभिमान खातिर उठाया था। अपने शान खातिर उठाया था। नरकासुर ने 16000 स्त्रियों को अपने सुख खातिर उठाया था। इसी फर्क की वजह से वह पूजे जाते हैं क्योंकि उनका कर्म अपनी सुख की प्राप्ति के लिए नहीं। समाज के कल्याण, स्त्रीत्व के अभिमान और जन कल्याण के लिए होता है। अपने आप पर लांछन लगाकर भी वह अपना कर्म करने से नहीं डरते हैं। लोग उन्हें छलिया कहे या ढोंगी वह इन से नहीं डरते इसलिए वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं।….
छोटी सी सीख। छोटा भाई समझ के रख लेना किसी और पर उंगली उठाने से पहले खुद को उस काबिल कर लेना की कोई आप पर वो उंगली नहीं उठा पाए। …. जय – श्री-राम!…
(सभी धर्मों के सम्मान संग)
फिर मिलते हैं अगली कहानी में!
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मर्यादा :- आखिर पूजे क्यों जाते हैं ये 🤔
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ज़िन्दगी भर – ज़िन्दगी के लिए !
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